सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ प्रदेश सहित सतना में भी एक तरफ नल जल योजना के जरिए घर-घर जल पहुंचाने का दावा हो रहा है तो दूसरी ओर गड्ढ़ों, तालाबों और खेतों का गंदा पानी पीकर गुजारा करने की शर्मनाक तस्वीरें सामने आ रही हैं। आजादी का 77वां पर्व मनाने के बाद जिन हालातों में गांव के लोग जीवन जी रहे हैं वह वाकई हृदय विदारक है। यह सच्चाई है रैगांव विधानसभा क्षेत्र की दुर्गापुर पंचायत के आदिवासी बाहुल्य मोरा गांव की। जहां पर पिछले छह महीने से बिजली की सप्लाई भगवान भरोसे है। पंचायत में लगाए गए हैंडपंप हवा उगल रहे हैं। बिजली के अभाव में सबमर्सिबल चल नहीं पा रही। ऐसे में गांव के लोगों को अपना जीवन यापन करने के लिए खेतों और गड्ढ़ों का पानी पीना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि इसी जगह से जानवर पानी पीते हैं और इसी का पानी ग्रामीण पीने के लिए विवश हैं।
मोरा गांव दुर्गापुर पंचायत का हिस्सा है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह जिले की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है। इसी पंचायत में सीएम शिवराज सिंह ने रैगांव विधानसभा उपचुनाव के वक्त सभा की थी। तब तमाम ऐसे वादे किए गए थे, जिनसे ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधार जा सके। पीने का साफ पानी, अच्छे स्कूल, बिजली , अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं और गांव की पहुंच के रास्ते का निर्माण। लगभग तीन साल बीतने को हैं। और गांव जस के तस हैं। इस पंचायत में छह राजस्व ग्राम और चार मजरे टोले हैं। सभी गांव की एक जैसी कहानी है। पंचायत में राजस्व ग्राम नवस्ता, कुडिय़ा ,दुर्गापुर ,कड़मानू ,मोरा और उरदना ,मजरा बस्ती वरवारू ,झलहा ,पुतनी ,खेरवा, गिन्जारा टोला और ढोलवजा शामिल हंै। पंचायत में कुल मतदाता संख्या 1530 है। यहां कुल 470 परिवार हैं। जिसमें 3 40 बीपीएल कार्ड धारी हैं।
बिजली की वजह से उपजा संकट
दुर्गापुर पंचायत के अधिकांश गांव का संकट बिजली के कारण है। पीएचई विभाग के द्वारा नल-जल योजना का ढांचा उरदना में खड़ा कर दिया गया है। गांव बिजली के अभाव में नल जल ईकाई से सप्लाई नहीं हो पा रही। इसी प्रकार से हैंडपंप में सबमर्सिबल डाली गईं ताकि बोर का पानी ग्रामीणों को मिले। बिजली के खम्भे नहीं हैं ऐसे में तीन फेस की बिजली भी नहीं पहुंच रही। मात्र एक फेस की बिजली में बोर चल नहीं पा रहे। बिजली को सुधारने के लिए सरंपच विजय बागरी ने कई बार सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से अधिकारियों को ट्रांसफार्मर और विद्युत पोल सुधारने के लिए कहा, लेकिन अधिकारियों के द्वारा निराकरण किए बिना ही शिकायतें बंद करा दी गईं।
फैल सकती है बीमारी
गांव में जिस प्रकार का गंदा पानी ग्रामीण पी रहे हैं वह कई जल जनित बीमारी को जन्म दे रहे हैं। चूंकि अधिकांश परिवारों की आय बेहद कम है और बिना मेहनत के भोजन मिलना मुश्किल हैं। ऐसे में जल्दबाजी के चक्कर में वे बिना उपचारित पानी पीते हैं। जिससे गांव के बच्चे, महिलाएं इसी सीजन में बीमार पड़े हैं। इसके अलावा अन्य तरह की बीमारियों के पनपने का भी खतरा बना हुआ है। तमाम लोग इस बात से नाराज होकर अधिकारियों के फोन की घंटी बजाई, लेकिन कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हुआ। बताया जाता है कि आज तक उस गड्ढ़े के पानी का सेंपल पीएचई विभाग के इंजीनियर ललित सेन ने नहीं लिया। जबकि शासन से निर्देश हैं कि जिन जलाशयों का पानी उपयोग में लाया जाता है उसमें दबा का छिड़काव और सेंपलिंग की जाए।