National cji announces that supreme court has prepared a handbook on combatting gender stereotypes about women in legal discourse: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के प्रति लैंगिक भेदभाव पर लगाम लगाने के लिए एक हैंडबुक तैयार की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर तैयार इस रूलबुक में न्यायाधीशों को अदालत में लैंगिक पूर्वाग्रह से जुड़े शब्दों या समानता दर्शाने वाले शब्दों के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि रूढ़िवादिता विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ काफी हानिकारक है। इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए हैंडबुक को तैयार किया गया है।
रूलबुक में क्या है
इसमें न्यायाधीशों को किसी भी तरह के स्टीरियोटाइप से बचने के लिए कुछ शब्दों को बोलने से परहेज को कहा गया है। इसके अलावा उनके विकल्प के तौर पर किन शब्दों का इस्तेमाल हो सकता है, उनकी भी लिस्ट दी गई है। शीर्ष अदालत ने जिन शब्दों के इस्तेमाल से परहेज की सलाह दी है, उनमें अनवेड मदर, बास्टर्ड, करियर वूमन, ईव टीजिंग, हाउसवाइफ, अफेयर आदि शामिल हैं। यह हैंडबुक जज व लीगल कम्युनिटी को कानूनी मामलों में महिलाओं के प्रति स्टीरियोटाइप को पहचानने, समझने और मुकाबला करने में सहायता के लिए है।
क्या है इसकी जरुरत
दरअसल समाज में महिलाओं के लिए कुछ खास शब्दों का इस्तेमाल काफी प्रचलित है और ये कानूनी भाषा में भी शामिल हो चुका है। हैंडबुक के जरिए इस रूढ़िवादी सोच को दूर करने और महिलाओं को समानता का हक दिलाने की पहल की गई है। इसमें बताया गया है कि ऐसे शब्द क्यों गलत हैं और कैसे कानून के उपयोग को विकृत कर सकते हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गाइडबुक उन शब्दों और वाक्यांशों के इस्तेमाल को पहचानने और खत्म करने के लिए है, जो अदालती आदेशों व कानूनी भाषा में लैंगिक पूर्वाग्रह को दर्शाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर उपलब्ध
हैंडबुक को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसमें लैंगिक अन्यायपूर्ण शब्दों की शब्दावली शामिल है और वैकल्पिक शब्द सुझाए गए हैं। इनका इस्तेमाल दलीलों के साथ-साथ आदेशों और निर्णयों का मसौदा तैयार करने में हो सकता है। यह वकीलों के साथ ही न्यायाधीशों के लिए भी है।