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Satna: हत्या के जुर्म में सजा काट रहे कैदी ने ‘रामचरित मानस’ में किया डिप्लोमा, बंदियो के बीच जगा रहा शिक्षा की ज्योति

  • वर्तमान में सतना की ओपेन जेल में मां के साथ काट रहा सजा
  • दिन में कोचिंग इंस्टीट्यूट में बच्चों को भी दे रहा शिक्षा

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ हत्या के मामले में सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी और साथ में गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रची गई रामचरित मानस में फस्र्ट डिवीजन में डिप्लोमा हासिल कर कोचिंग में बच्चों को पढ़ाना, यह जानकर लोगों को हैरानी हो सकती है। परंतु यह सच है। भाभी को जान से मारने की साजिश रचने के मामले में पूरे परिवार के साथ आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी 35 वर्षीय योगेंद्र सिंह अब जेल में सजा काट रहे बंदियों के लिए मिसाल बन चुके हैं। यूं तो जेल में बंद कैदियों के लिए जेल विभाग राज्य स्तर पर और स्थानीय स्तर पर कई नवाचार चला रहा है, परंतु योंगेंद्र ने जो कार्य किया है, वह वााकई प्रशंसनीय है। रामचरित मानस व उसके साथ संलग्न कई विषयों पर मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल से डिप्लोमा लेकर योगेंद्र अपने मित्र के कोचिंग संस्थान में ग्यारहवीं व बारहवीं के छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सेंट्रल जेल के भीतर बंदी योगेंद्र के अच्छे चाल-चलन को देखते हुए उन्हेंओपेन जेल में रखा गया है जहां वह अपनी मां के साथ रह रहे हैं। योगेंद्र के पिता लक्ष्मण सिंह जबलपुर की ओपेन जेल में सजा काट रहे हैं।

और जब बर्बाद हो गया हंसता-खेलता परिवार

योगेंद्र का परिवार जेल के की सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है। इस संबंध में योगेंद्र ने बातचीत के दौरान बताया कि सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 कि.मी स्थित जैतवारा कस्बे के डंाडी टोला में उसका हंसता-खेलता परिवार निवास करता था। तकरीबन 14 वर्ष पहले उसके बड़े भाई की शादी हुई थी। शादी के कुछ साल बाद अचानक उसकी भाभी की मृत्यु आग से जलने के कारण हो गई। योगेंद्र के परिवार ने घर की बहू का यथासंभव उपचार कराया लेकिन तकरीबन एक महीने अस्पताल में भर्ती रहने के बाद विवाहिता ने दम तोड़ दिया। घटना के लिए विवाहिता के मायके पक्ष ने घटना के लिए ससुराल पक्ष के लोगों को जिम्मेदार बताया। इसके बाद पूरा परिवार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।

12 साल की सजा काट चुका है योगेंद्र

अदालत से सजा मिलने के पश्चात पूरे परिवार को सतना की सेंट्रल जेल में रखा गया। योंगेद्र अविवाहित है तथा 12 साल की सजा काट चुका है। सजा के दौरान ही उसके मन में रामचरित मानस तथा वर्तमान समय में उसके वैज्ञानिक सरोकार को लेकर उत्कंठा जगी तो उसने रामचरित मानस के अध्ययन की मंशा से जेल प्रशासन को अवगत कराया। इसके पश्चात जेल प्रशासन ने रामचरितमानस व उससे जुड़ी पुस्तकें उपलब्ध कराईं। जेल प्रशासन ने इसे नवाचार के रूप में लिया और यह जानकारी जुटाई कि जिस विषय में योगेंद्र की रुचि है उसमें कोई विश्वविद्यालय या संस्थान डिप्लोमा या डिग्री उपलब्ध कराता है या नहीं। बहुत खोजबीन के बाद पता चला कि मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल संबंधित विषय में डिप्लोमा प्रदान करता है। बस फिर क्या था, योगेंद्र ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। इसके साथ ही वह जेल के कैदियों को भी पढ़ाने लगा। एक साल के डिप्लोमा के लिए योगेंद्र ने खासी मेहनत की। इसके पश्चात उसने पिछले वर्ष दिसंबर में डिस्टेंस माध्यम से परीक्षा दी और इस परीक्षा में उसने 60 फीसदी अंक हासिल कर प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। मार्च-23 में उसकी डिप्लोमा मार्कशीट भी आ गई।

अध्ययन के विषय

  • -रामचरित मानस भौतिक विज्ञान
  • -रामचरित मानस वैज्ञानिक मूल्य बोध और सामाजिकता
  • -रामचरित मानस जीव विज्ञान
  • -रामचरित मानस विज्ञान और सामाजिकता
  • -प्रोजेक्ट वर्क

जेल में ये भी किया

योगेेंद्र ने जेल में सजा काटने के दौरान सिर्फ रामचरित मानस और उससे जुड़े विषयों का अध्ययन ही नहीं किया अपितु उसने हिंदी से एमए, इतिहास से एमए की डिग्री भी हासिल की।

लक्ष्य

योगेेंद्र अपने भविष्य के लक्ष्य के बारे में बात करते हुए बताता है कि अब वह अंग्रेजी विषय से एमए करना चाहता है तथा रिहाई के बाद खुद का कोचिंग इंस्टीट्यूट शुरू करना चाहता है। इसीलिए वह अपने मित्र की कोचिंग में छात्रों को पढ़ाता है तथा जेल के बंदियों को भी पढ़ाता है। इससे जहां वह एकाग्र होकर पढ़ाई में मन लगा लेता है वहीं संबंधित विषयों में उसका खुद का रिवीजन भी हो रहा है।

इनका कहना है
“जेल में सजा काट रहे जिस बंदी को भी पढ़ाई में रूचि है उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। यहां तक कि अनपढ़ों को भी प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। योगेंद्र की लगन थी कि वह रामचरित मानस के वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े विषयों पर जानकारी हासिल कर लोगों को उसकी महत्ता के बारे बताए।

जिसके चलते उसने पूरी लगन से भोज से डिप्लोमा प्राप्त किया है। जिसमें वह पूरी तरह सफल हुआ। आगे यदि वह और भी पढऩा चाहेगा तो उसकी पूरी व्यवस्था जेल प्रशासन करेगा।”
लीना कोष्टा, जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल सतना

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