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MP: प्रदेश के 10 जिलों के भूजल में यूरेनियम की मात्रा अधिक, बीमारी का बढ़ा खतरा

  • मध्य प्रदेश के 10 जिलों के कई क्षेत्रों के भूजल में यूरेनियम नामक तत्व की मात्रा अधिक मिली
  • यूरेनियम की अधिक मात्रा के पानी से किडनी, लिवर खराब होने और कैंसर होने की आशंका
  • ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र के भूजल में यूरेनियम की मात्रा सबसे अधिक मिली है

Madhya pradesh bhopal high concentration of uranium in groundwater of 10 districts of madhya pradesh risk of disease increased: digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश के 10 जिलों के कई क्षेत्रों के भूजल में यूरेनियम नामक तत्व की मात्रा अधिक मिली है। इससे इस पानी का पेयजल के रूप में प्रयोग होने से लोगों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। यूरेनियम की अधिक मात्रा वाला पानी पीने से लोगों में किडनी, लिवर खराब होने और कैंसर होने की आशंका बढ़ गई है।

ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र के भूजल में  यूरेनियम की मात्रा सबसे अधिक मिली है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के अधिकारियों का यह भी कहना है कि भूजल में यूरेनियम की अधिक मात्रा होने पर वन्यजीव भी प्रभावित होंगे। अधिकारियों के अनुसार भूजल में यूरेनियम प्रदूषण की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए आगामी वर्षों में गहन और व्यवस्थित अध्ययन किया जाना प्रस्तावित है।

मध्य प्रदेश के भूजल में यूरेनियम से प्रदूषण के संदर्भ में अंतिम निष्कर्ष गहन और व्यवस्थित अध्ययन पूर्ण होने के बाद ही लिया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण मंडल भी नहीं करता यूरेनियम की जांच विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसियों ने पीने के पानी में यूरेनियम के लिए 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर का मानक निर्धारित किया है।

प्रदूषण नियंत्रण मंडल नहीं करता परीक्षण

हालांकि भारत मानक ब्यूरो द्वारा तैयार किए गए देश के राष्ट्रीय पेयजल मानकों में यूरेनियम शामिल नहीं है। राज्य का प्रदूषण नियंत्रण मंडल भी भूजल में यूरेनियम की मात्रा का परीक्षण नहीं करता है। प्रदेश में पानी में फ्लोराइड की अधिकता वाले 15 जिले प्रदेश में पानी में फ्लोइराइड की अधिकता वाले 15 जिले हैं। यहां राष्ट्रीय फ्लोराइड नियत्रंण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

इतनी मात्रा हो जाती है सेहत के लिए घातक

पानी में 1.1 पीपीएम यानी पार्ट पर मिलियन मात्रा फ्लोराइड की पाए जाने पर वह मानव शरीर के लिए हानिकारक हो जाती है। इससे खास तौर पर बच्चों के दांत और हड्डियों में फ्लोरोसिस नामक बीमारी हो जाती है। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे ही प्रभावित हो रहे हैं।

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