Spiritual vrat tyohar sawan 2023 know what is the importance of parthiv shivling this is how construction is done: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सावन मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और इस दौरान शिवलिंग की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। शिव पुराण में सावन माह में भगवान शिव व शिवलिंग की पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही पार्थिव शिवलिंग की पूजा के महत्व के बारे में भी बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कष्टों का नाश होता है और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है।
ऐसे किया जाता है पार्थिव शिवलिंग का निर्माण
सावन माह में शिवलिंग की पूजा का संकल्प लेकर किसी पवित्र जगह का चयन करें और पवित्र नदी या सरोवर की मिट्टी लेकर आए। मिट्टी के शुद्धिकरण के लिए फूल और चंदन का प्रयोग करें। मिट्टी के शुद्धिकरण के दौरान शिवमंत्रों का जाप करते हुए मिट्टी में गाय का दूध, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाए। शिव भक्तों को पार्थिव शिवलिंग बनाते समय मुख पूर्व या उत्तर में रखें। शिवलिंग की ऊंचाई 8 इंच से ज्यादा न रखें।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा कैसे करें
पार्थिव शिवलिंग की पूजा से पहले श्री गणेश, भगवान विष्णु, नवग्रह और देवी पार्वती की आराधना करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, आंकड़ा आदि समर्पित करें। कच्चे गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। पंचमेवा, पंचामृत, मिठाई, फल, धतूरा, भांग आदि का भोग लगाएं और अंत में बाबा भोलेनाथ की आरती उतारें।
हिंदू धर्म में पार्थिव शिवलिंग का महत्व क्या है
शिव पुराण के मुताबिक, पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जीवन में आ रही कई समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग को लेकर पौराणिक कथा है कि कलयुग में सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा शुरू की थी। पार्थिव शिवलिंग की पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करने से समस्त कष्टों का नाश हो जाता है।