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National: ‘इंडिया’ और भाजपा ने बनाई रणनीति, सोमवार को संसद में दिखेगा विरोध और प्रतिवाद का नजारा

Atrocities against women protests counter protests planned by bjp india in parliament tomorrow: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ ने सोमवार को महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर अपनी-अपनी रणनीति बनाई है। सोमवार को संसद के काफी हंगामेदार होने के आसार हैं। भाजपा राजस्थान और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन करेगी।

भाजपा ने विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) का मुकाबला करने की योजना बनाई है, जो मणिपुर की घटना पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और पूरे कामकाज को निलंबित करने के साथ चर्चा की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने के लिए तैयार है। हाल ही में मणिपुर के वायरल वीडियो से जहां देश में आक्रोश फैल गया है, वहीं पश्चिम बंगाल में दो आदिवासी महिलाओं को नग्न करने, प्रताड़ित करने और पीटने की एक और घटना सामने आई, जिससे भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि सभी पार्टी सांसद संसद भवन में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन करेंगे, जिसमें सभी केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान भाजपा पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में महिलाओं और दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाएगी। इससे पहले 20 जुलाई को बंगाल भाजपा के सांसदों ने बंगाल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया था। वहीं 21 जुलाई को राजस्थान भाजपा ने राज्य के जोधपुर में हॉरर किलिंग के अलावा महिलाओं पर लगातार हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गांधी प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन किया था।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर उनके रिकॉर्ड को लेकर भाजपा ने शुक्रवार को आक्रामक रुख अपनाते हुए क्रमश: तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल और राजस्थान सरकारों पर हमला बोला था। पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी एक संवाददाता सम्मेलन में यह कहते हुए रो पड़ीं थीं कि क्या इन राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर तभी ध्यान दिया जाएगा जब ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड करने वाले वायरल वीडियो होंगे। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने भी एक अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ इसी तरह के अपराधों पर प्रकाश डाला था।

दूसरी ओर विपक्ष लगातार मणिपुर हिंसा और मणिपुर में वायरल हुए वीडियो को लेकर सदन में चर्चा की मांग कर रहा है। इसके अलावा, विपक्षी दलों ने मानसून सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा करने का नोटिस दिया है। लोकसभा में जहां विपक्षी दलों ने नियम 193 के तहत नोटिस दिया है, वहीं राज्यसभा में विपक्ष ने नियम 176 और नियम 267 के तहत नोटिस दिया है।

सरकार, सैद्धांतिक रूप से इस मामले पर नियम 193 के तहत लोकसभा में और नियम 176 के तहत राज्यसभा में चर्चा करने के लिए सहमत हो गई है। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि नवगठित विपक्षी गठबंधन भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) के नेता सदन के पटल पर रणनीति तैयार करने के लिए 24 जुलाई को संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यालय में बैठक करेंगे। मणिपुर मुद्दे पर विपक्षी नेताओं के गांधी प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन करने की भी संभावना है।

गुरुवार को शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही में मणिपुर की स्थिति हावी रही और विपक्ष ने केंद्र से इस मुद्दे पर चर्चा करने की मांग की। कांग्रेस और विपक्षी नेता मौजूदा मानसून सत्र के दौरान संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने की मांग कर रहे हैं। मणिपुर मुद्दे पर शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा को दिनभर के स्थगन का सामना करना पड़ा। दोनों सदनों में गुरुवार और शुक्रवार को कोई महत्वपूर्ण कामकाज नहीं हो सका क्योंकि विपक्षी सांसदों ने अल्पकालिक चर्चा के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 पर पर्यावरणविदों, हिमालयी समुदायों ने चेतावनी जारी की

सरकार लोकसभा के मौजूदा मानसून सत्र में महत्वपूर्ण वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 पर मतदान के लिए तैयारियां कर रही है। वहीं दूसरी ओर पर्यावरणविदों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और हिमालय क्षेत्र के अन्य पक्षकारों ने विधेयक के मौजूदा स्वरूप में पारित होने के संभावित प्रभावों को लेकर आगाह किया है। वन (संरक्षण) अधिनियम (एफसीए), 1980 में जो महत्वपूर्ण संशोधन किए जाने हैं, उनमें प्रस्तावना जोड़ना, अधिनियम का नाम बदलकर ‘वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम’ करना, इस अधिनियम के प्रभाव को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज वन क्षेत्रों तक सीमित करना और भूमि की कुछ श्रेणियों को इसके प्रभाव क्षेत्र से बाहर करना आदि शामिल हैं।

संरक्षणविदों की दलील है कि सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज वन क्षेत्रों तक ही एफसीए के प्रभावों को सीमित करना तमिलनाडु गोदावर्मन मामले में 1996 में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले को अमान्य कर देगा। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि यह अधिनियम शब्दकोश में लिखित ‘वन’ या ‘डीम्ड वन क्षेत्र’ की परिभाषा के अनुरूप परिभाषित भूमि पर प्रभावी होगा।

पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि शब्दकोश में लिखित ‘वन’ या ‘डीम्ड वन क्षेत्र’ की परिभाषा के अनुरूप परिभाषित भूमि पर इस अधिनियम के प्रभावी होने के परिणामस्वरूप गैर-वन क्षेत्र में पौधे लगाने की परंपरा कम होती जा रही है क्योंकि लोगों, संगठनों और प्राधिकार को आशंका है कि ऐसे पौधरोपण को वन क्षेत्र मान लिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, यह गलतफहमी हरित क्षेत्र को बढ़ाने और 2.5 से तीन अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन घटाने के राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अवरोधक बन रही है।

संशोधित विधेयक में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा से 100 किलोमीटर के दायरे में सामरिक और सुरक्षा संबंधित राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं और सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए 10 हेक्टेयर तक वन भूमि के उपयोग को छूट दी गई है।

इसके अलावा, पर्यावरण मंत्रालय ने वामपंथी चरमपंथ से प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल, जल संसाधान और दूरसंचार सेवाओं के बुनियादी ढांचों के लिए पांच हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि इन वन क्षेत्रों के निवासियों के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटा जा सके।

हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, मिजोरम और असम सहित राज्यों ने इस विधेयक की समीक्षा करने वाली 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति से कहा है कि इन कदमों से उनके वन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा और वनों पर निर्भर आदिवासियों और अन्य परंपरागत समुदायों को दिक्कत होगी। पर्यावरणविदों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और नियंत्रण रेखा या वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास स्थित पर्वतीय इलाके अपनी भूगर्भीय अस्थिरता के लिए जाने जाते हैं और वहां मूसलाधार बारिश, भूस्खलन, अचानक बाढ़ आना और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। 

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