Uttar pradesh varanasi gyanvapi masjid asi survey hearing of case complete in 67 days hindu side happy: digi desk/BHN/वाराणसी/ यूपी के वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे होगा। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को बड़ा आदेश सुनाया और ज्ञानवापी में सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे का आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिया। अदालत ने एएसआई के निदेशक को कहा है कि दोनों पक्षकारों से मिलकर चार अगस्त तक यह रिपोर्ट दाखिल करें कि मस्जिद के ढांचे को क्षति पहुंचाए बगैर वह कैसे सर्वेक्षण करेंगे। यह भी बताएं कि सर्वे करने वाली टीम में कौन-कौन रहेगा। फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर कौन होगा। इसके साथ ही अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि चार अगस्त तय की है।
जिला जज की अदालत के फैसले हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की जाएगी। ताकि, मुस्लिम पक्ष की अपील पर आदेश देने से पहले हिंदू पक्ष को सुना जाए। हिंदू पक्ष को सुनने के बाद ही अदालत अपना आदेश सुनाए।
कचहरी परिसर में हर-हर महादेव का उद्घोष
अदालत के फैसले को हिंदू पक्ष अपनी बड़ी जीत बता रहा है। उनका कहना है कि अदालत ने हमारी दलीलों को मान लिया है। मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया गया है। अदालत का फैसला आते ही हिंदू पक्ष ने कचहरी परिसर में हर-हर महादेव का उद्घोष कर खुशी का इजहार किया।
16 मई को अदालत में दिया गया था आवेदन
इस मामले की सुनवाई महज 67 दिन में ही पूरी हो गई। ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू ने बीते 16 मई को अदालत में आवेदन दिया था। कहा था कि ज्ञानवापी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़ कर वर्ष 1993 से जो क्षेत्र बैरिकेडिंग के अंदर है, उसका एएसआई से रडार तकनीक से सर्वे कराया जाए। आवेदन पर 19 मई को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति की तो हिंदू पक्ष ने 22 मई को अपनी दलील रखी थी। सात जुलाई को जिला जज के अवकाश पर रहने के कारण 12 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई।
हिंदू पक्ष ने आवेदन के निस्तारण पर बल दिया तो मसाजिद कमेटी ने आपत्ति के लिए समय मांगा और 14 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव भी अदालत में मौजूद रहे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज की अदालत ने 14 जुलाई को आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। शुक्रवार को अपराह्न बाद जिला जज की अदालत ने मसाजिद कमेटी की आपत्ति को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष का आवेदन स्वीकार करते हुए एएसआई से सर्वे का आदेश दिया।
ASI को 11 बिंदुओं पर सर्वे करना है
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी कर ली थी और पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार दोपहर बाद जिला जज की अदालत ने फैसला सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने एसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर कर लिया। यह सर्वेक्षण ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर आराजी नंबर-9130 के संपूर्ण क्षेत्र का होगा। अदालत ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। एएसआई को 11 बिंदुओं पर सर्वे करना है।
सर्वे में मिलेगा एक और शिवलिंग
हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पक्ष रखा। इस दौरान ज्ञानवापी में हुए अधिवक्ता कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई। अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि कमीशन की प्रक्रिया के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। आकृति की एएसआई जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचााराधीन है। वजूखाने को सील किया गया है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्र का एएसआई सर्वे किया जा सकता है। विष्णु जैन ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। हिंदू पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने से वैमनस्यता फैली। हिंदू पक्ष कलेजे पर पत्थर रखकर इसे सहन करता रहा। यह ऐतिहासिक साक्ष्य है कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।
आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देगा मुस्लिम पक्ष
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से कहा गया कि हाईकोर्ट के 12 मई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 19 मई से स्टे है। एएसआई सर्वे के आवेदन को सुनने का अधिकार जिला जज को नहीं है। दूसरी अहम बात यह है कि इस मामले में एक बार सर्वे हो चुका है। उस पर आपत्ति भी की गई है। बगैर उसके निस्तारण के सर्वे का दूसरा आदेश नहीं दिया जा सकता।
हिंदू पक्ष ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की बात कही है, लेकिन उसका कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। अभी आदेश की कॉपी अभी नहीं मिली है। आदेश का अध्ययन करने के बाद फैसला लिया जाएगा। जिला जज की अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। पहले श्रृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांगा गया। अब ज्ञानवापी के सर्वे की मांग करके मामले को उलझाया जा रहा है।