Madhya pradesh sheopur after continuous deaths of mp cheetahs officers were angry after principal chief conservator of forests kuno palpur dfo was also removed: digi desk/BHN/भोपाल/ श्योपुर के पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हुई आठ चीतों की मौत के बाद राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक जेएस चौहान को हटा दिया गया है। चौहान ने कूनो में चीतो की संख्या अधिक होने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए पत्र लिखा था, तब से ही राज्य और केंद्र के चीता परियोजना से लुड़े अधिकारियों के बीच मतभेद चल रहे थे। हाल ही एक सप्ताह में हुई दो चीतों की मौत के बाद से ही चीता प्रबंधन पर सवाल उठे थे।
चौहान को पीसीसीएफ उत्पादन और उनकी जगह असीम श्रीवास्तव को मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक की कमान सौंपी है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी सरकार के इस निर्णय को उचित नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि लापरवाही के लिए कूनो के स्थानीय अधिकारी दोषी हैं लेकिन उनका बचाव किया जा रहा है। इधर, कूनो डीएफओ प्रकाश वर्मा को तबादले के बाद भी कार्यमुक्त नहीं किया गया है।
इधर सोमवार को चीता संचालन समिति की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक इस आनलाइन बैठक में चीतों की शिफ्टिंग और उनके देखरेख को लेकर विचार विमर्श हुआ था। चौहान द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को चीतों की शिफ्टिंग को लेकर लिखे गए पत्र पर भी चर्चा हुई। चौहान भी बैठक में आनलाइन जुड़े। समिति की बैठक के बाद ही चौहान को हटाने का आदेश जारी किया गया। प्रदेश के वनाधिकारियों का कहना है कि स्टीरिंग कमेटी से जुड़े अधिकारी संसाधन और शिफ्टिंग की बात से नाराज थे।
चौहान ने अप्रैल में केंद्र को पत्र लिखकर चीतों को शिफ्ट करने दिया था सुझाव
चौहान ने कूनो नेशनल पार्क से चीतों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने के लिए वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएस कंसोटिया को नोटशीट लिखी थी। वे इससे पहले अप्रैल माह में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भी पत्र लिख चुके थे। उन्होंने लिखा था कि कूनो से चीतों को शिफ्ट करना जरूरी है, क्योंकि कुछ समय में वहां क्षमता से अधिक चीते हो जाएंगे। ऐसे में उनकी देखरेख करना मुश्किल हो जाएगा और कोई महामारी फैल गई तो चीता प्रजाति पर संकट आ सकता है।
चौहान ने यह भी लिखा कि वर्तमान परिस्थिति की जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वनमंत्री विजय शाह और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को भी दी जानी चाहिए, ताकि समय रहते कोई निर्णय लिया जा सके। उन्होंने सात चीतों को तत्काल कहीं और शिफ्ट करने का सुझाव दिया था।
वन अधिकारियों ने राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान को भी चीतों को शिफ्ट करने की सलाह दी थी। तर्क था कि इस उद्यान की जलवायु चीतों के अनुकूल है और यह चैनलिंग जाली से घिरा क्षेत्र भी है। हालांकि राजनीतिक कारणों से ऐसा होना संभव नहीं हो पाया है।
डेढ़ माह पहले ही बनाई थी नई समिति, फिर भी नहीं थम रही मौतें
तीन चीता शावकों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने 25 मई को प्रोजेक्ट चीता के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए नई संचालन समिति बनाई। जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल है। 11 सदस्यीय समिति के नेतृत्व की जिम्मेदारी ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव और पूर्व में भारतीय वन सेवा के अधिकारी रह चुके डा. राजेश गोपाल को दी गई है। इस समिति का कार्य चीता प्रोजेक्ट की निगरानी और वन विभाग, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को सलाह देना है, बावजूद इसके मौताें का सिलसिला थमा नहीं।