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Jagdalpur: किसान राजाराम खरीदेंगे हेलीकाप्टर, सफेद मूसली व काली मिर्च की खेती से बनाई पहचान

Jagdalpur jagdalpur rajaram tripathi a farmer of bastar will buy a helicopter made an identity by cultivating white muesli and black pepper: digi desk/BHN/जगदलपुर/ बस्तर के किसान डा. राजाराम त्रिपाठी हेलीकाप्टर खरीदने जा रहे हैं। उन्होंने सात करोड़ रुपये में हालैंड की कंपनी से चार सीटर हेलीकाप्टर खरीदने की बुकिंग कराई है। इसके लिए नीदरलैंड की कंपनी के साथ उनका अनुबंध हो चुका है, जिसके अनुसार कंपनी चार वर्ष में हेलीकाप्टर तैयार कर देगी और अगले सात वर्ष तक इसका रखरखाव भी करेगी। कोंडागांव के रहने वाले राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च और जैविक खेती के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आस्ट्रेलियन टीक के साथ काली मिर्च की खेती के प्रयोग से प्राकृतिक ग्रीन हाउस तकनीक भी विकसित की है। इसमें एक से डेढ़ लाख रुपये की लागत में 40 वर्ष तक करोड़ों रुपये की आय प्रति एकड़ में की जा सकती है।इस तकनीक को वे भारतीय कृषि के लिए गेमचेंजर बताते हैं। अकेले काली मिर्च की खेती से ही वे करोड़ों रुपये की वार्षिक आय अर्जित करते हैं। कृषि मंत्रालय व भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद की ओर से वे तीन बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान व राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से एक बार सर्वश्रेष्ठ निर्यातक सम्मान से पुरस्कृत हो चुके हैं।

वे कहते हैं कि देश में किसान की छवि को गरीब और बदहाल दिखाया जाता है। ऐसी छवि युवाओं को खेती, किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आइटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं, पर वे खेती को उद्यम बनाने का प्रयास नहीं करते।

इसी सोच को बदलने के लिए वे हेलीकाप्टर खरीद रहे हैं, जिससे युवा पीढ़ी के भीतर खेती-किसानी को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण लाया जा सके। इसके लिए उज्जैन स्थित उड्डयन अकादमी से वे हेलीकाप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने जा रहे हैं।

खाद व दवा छिड़काव में करेंगे उपयोग

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि यूरोप, इंग्लैंड व जर्मनी के प्रवास के दौरान उन्होंने खेती में हेलीकाप्टर का प्रयोग देखा था। उन देशों में दवा व खाद के छिड़काव के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग खेती-किसानी में सहायक सिद्ध होता है। अपने एक हजार एकड़ की खेती के साथ, आसपास के खेती प्रधान वाले जिलों में वे इस हेलीकाप्टर का उपयोग करना चाहते हैं। इसके लिए वे कस्टमाइज हेलीकाप्टर बनवा रहे हैं, ताकि मशीन भी लगवाई जा सके।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की थी खेती

उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से राजाराम त्रिपाठी के दादा शंभुनाथ त्रिपाठी करीब 70 वर्ष पहले दरभा घाटी के ककनार में आकर किसानी करने लगे थे। पिता जगदीश प्रसाद शिक्षक थे। राजाराम ने जगदलपुर कालेज से पढ़ाई की और स्टेट बैंक आफ इंडिया में प्रोबेशनर अधिकारी बनकर कोंडागांव चले गए। 1996 में पांच एकड़ से सब्जी की खेती शुरू करने के बाद मूसली और अश्वगंधा की खेती की, जिसमें शुरुआती लाभ मिलने पर बैंक की नौकरी छोड़ दी।

2002 में सफेद मूसली के दाम गिरे तो दीवालिया होने की स्थिति आ गई, पर हार नहीं मानी। समझ आया कि कृषि में सफलता के लिए मिश्रित खेती करना होगा। 2016 में आस्ट्रेलियन टीक के साथ काली मिर्च की खेती के प्रयोग में उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली। इस सफलता के बाद वे मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का गठन कर 400 आदिवासी परिवार के साथ मिलकर एक हजार एकड़ में सामूहिक खेती करते हैं, जिससे इन परिवारों को भी अच्छी-खासी आमदनी होती है। 

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