Bilaspur medical service can go on ventilator 70 thousand health workers on strike from july-4: digi desk/BHN/बिलासपुर/ चुनाव सामने आते ही सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आमने-सामने आ गए हैं। जिले के 9 हजार समेत प्रदेश भर के 70 हजार स्वास्थ्य कर्मचारी एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं। मालूम हो कि पांच साल से चल रहा विरोध, प्रदर्शन, बैठक और बातचीत बेनतीजा रही है। अब कर्मचारी 4 जुलाई से बेमुद्दत हड़ताल पर रहेंगे। इससे स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा सेवा के खुद ही वेंटिलेटर में आने की आशंका बढ़ गई है। हड़ताल हुआ तो पूरी चिकित्सा सेवा एक झटके में चरमरा जाएगी।70 से 80 हजार कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल होने का अनुमान है। इससे प्रदेश के 9 हजार स्वास्थ्य केंद्रों में व्यवस्थाएं चरमरा जाएंगी। एक हजार से ज्यादा सरकारी एंबुलेंस के पहिए थम जाएंगे। केंद्र से संचालित 700-800 हैल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लग जाएगा।
टेक्नीशियंस के अभाव में, सोनोग्राफी, पैथोलॉजी सहित सभी तरह की उपचार जांच और कार्य ठप पड़ जाएगा। ऐसे में शासन स्तर पर मनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन चुनावी साल देखते हुए कर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। ऐसे में शासन स्तर पर सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश पहले से ही दे दिए गए है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर असर न पड़े।
आंदोलन की वजह
2018 में स्वास्थ्य विभाग डीएमई और आयुष ने हेल्थ स्टाफ के वेतनमान में संशोधन के लिए राज्य सरकार को “प्रस्ताव भेजा था। शासन ने इसे अब तक मंजूरी नहीं दी है। इस बीच कई दफे विरोध प्रदर्शन हुए। अफसरों से लंबी बातें चलीं। बात नहीं बनते देखकर पिछले साल कर्मचारियों ने प्रदेश में लगातार तीन दिनों तक हड़ताल किया था। इससे मरीजों और परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा भी कई मांगें हैं जो सालों पुरानी हैं।
मेडिकल स्टोर से नहीं मिलेंगी दवाएं
ये स्वास्थ्य कर्मचारी ही प्रदेश भर के सरकारी मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं। फार्मशिस्ट भी इसी के दायरे में आते हैं, जो पूरी तरह से हड़ताल में रहेंगे, ऐसे में लोगों को सरकारी जीवनरोधी दवा तक नहीं मिल पाएगा।