Vijay Diwas 2020: jablpur/BHN/ अद्भुत साहस, वीरता की मिसाल है भारतीय सेना। जब भी बात होती है देश की रक्षा की और दुश्मन को सबक सिखाने की तो भारतीय सेना कभी पीछे नहीं हटी। हर स्थिति का डटकर मुकाबला करने और देश भक्ति के जज्बे के साथ सेना ने हर युद्ध में अपनी वीरता के परचम लहराए हैं। आज 16 दिसंबर, विजय दिवस के अवसर पर आइए जानते हैं कि 1971 में लड़ी गई लड़ाई के कुछ वीर व उनकी वीरता की निशानियां। जो जबलपुर में स्थित जैक आरआरसी व ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर के संग्रहालयों में संभाल कर रखी गई हैं। जिन्हें हमारी आने वाली पीढ़ी देख सके, जान सके और देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीरों को हमेशा याद रखे। इसमें एक उदाहरण ऐसा भी है जिसमें भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ने पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट कर्नल की वीरता की तारीफ की, जिसके बाद पाकिस्तान ने उस लेफ्टिनेंट कर्नल के नाम वहां का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘निशान-ए-हैदर’ दिया।
वीरता का किया सम्मान
यह भारतीय सेना की पहचान है कि हमारे सैनिक युद्ध क्षेत्र में न केवल वीरता से लड़ते हैं बल्कि दुश्मन की वीरता को भी सराहते हैं। भारतीय सेना के दिल साहस से भरे हैं तो इनमें दूसरों की वीरता का सम्मान करने का जज्बा भी है। कुछ ऐसा ही उदाहरण जुड़ा है 1971 की लड़ाई से। जिसका प्रमाण ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर में स्थिति राकेश संग्रहालय में संरक्षित करके रखा गया है। 71 की लड़ाई में लेफ्टिनेंट कर्नल वीपी एयरी की कमांड में 3 ग्रेनेडियर्स को 54 इन्फैंट्री डिविजन के पाकिस्तान के शंकरगढ़ बल्ज में आगे बढ़ने कहा गया। 15-16 दिसंबर, 1971 की रात में जरपाल पर कब्जा करने से पहले यूनिट ने सफलतापूर्वक दो माइनफील्ड्स को पार किया। 16 दिसंबर को लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद अकरम रजा के नेतृत्व में पाकिस्तान ने 35 फ्रंटियर फोर्स राइफल्स ने जरपाल पर जवाबी हमला किया।
मेजर होशियार सिंह के नेतृत्व में 3 ग्रेनेडियर्स की सी कंपनी ने जरपाल को जान लगाकर बचाया और दुश्मन को क्षति पहुंचाई। लड़ाई के मैदान में शत्रु के 89 जवान मारे गए। जिनमें इस यूनिट का कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अकरम रजा भी था। मेजर होशियार सिंह को उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र प्रदान किया गया और लेफ्टिनेंट कर्नल वीपी एयरी को महावीर चक्र। यहां खासियत यह थी कि लेफ्टिनेंट कर्नल वीपी एयरी ने दुश्मन की फौज के लेफ्टिनेंट कर्नल अकरम रजा के शरीर को पाकिस्तान की सेना को न सिर्फ वापस किया, बल्कि एक साइटेशन (वीरता सराहना पत्र) भी लिखा। इस साइटेशन के आधार पर दुश्मन की फौज के लेफ्टिनेंट कर्नल अकरम रजा को पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘निशान-ए-हैदर’ दिया गया। ग्रेनेडियर्स को बैटल ऑनर ‘जरपाल दिया गया।
1971 के युद्ध में जैक राइफल्स
1971 के युद्ध में जैक राइफल्स की कुल 12 बटालियनें जिनमें 126 इन्फैंट्री बटालियन व लद्दाख स्काउट्स भी शामिल थीं, ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों युद्ध क्षेत्रों पर लड़ाई में भाग लिया। 71 में बांग्लादेश की आजादी के दौरान रेजिमेंट के 76 जवान शहीद हो गए। रेजिमेंट को युद्ध सम्मान ‘श्याम गंज (1जम्मू कश्मीर राइफल्स को) व थिऐटर सम्मान’पूर्वी पाकिस्तान से सम्मानित किया गया। 71 की लड़ाई की कुछ यादों को जैकआरआरसी के गौरव संग्रहालय में संरक्षित करके रखा गया है।