Bhopal mp chief minister pandit ravi shankar shukla first chief minister of madhya pradesh took oath thrice and contested the election only once: digi desk/BHN/भोपाल/ देश के हृदय स्थल मध्य प्रदेश हो देश का सबसे शांत राज्य माना जाता है, लेकिन राजनीति के मामले इसका चरित्र अलग रहा है। 71 साल के इतिहास में 15 विधानसभा चुनाव हुए इस दौरान 18 मुख्यमंत्री ही हुए है। शुरुआत के 40 सालों में मप्र मुख्यमंत्री चयन को लेकर एक तरह का अखाडा रहा है। इस कालखंड में 14 मुख्यमंत्री हुए है, इसमें से कुछ दूसरी व तीसरी बार बने है। इस दौरान सिर्फ एक बार ही अर्जुन सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। वहीं पिछले तीस सालों में थोडा ठहराव आया है 1993 से 2023 साल में सिर्फ चार मुख्यमंत्री ही हुए है। तीन बार विधानसभा भंग हुई है। अब तक के इतिहास में सबसे कम 14 दिन नरेश चंद्र इस पद पर रहे, वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री के नाम सबसे अधिक चार बार मुख्यमंत्री बने और 16 साल से अधिक का रिकार्ड उनके नाम है। इसी के साथ देश के सबसे अधिक समय तक रहने वाले मुख्यमंत्रियों की फेहरिस्त में शामिल है।
पंडित रविशंकर शुक्ल
पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य भारत और मप्र के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे सबसे पहले 20 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय मप्र की विधानसभा अस्तित्व में नहीं आई थी और नाम भी मध्य भारत बरार था। 31 मार्च 1952 में पहली विधानसभा के चुनाव हुए। उन्होंने सरायपाली सीट से किसान मजदूर प्रजा पार्टी के जगदीश कानूगो को 10686 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में कांग्रेस भारी मतों से चुनाव जीता और एक बार फिर से रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री चुना गया। वे 31 अक्टूबर 1956 तक इस पद पर रहे। एक नवंबर 1956 को जब मप्र का गठन हुआ उन्हें एक बार फिर से मप्र की बागडोर सौंपी गई। 31 दिसंबर 1956 को उनका स्वर्गवास हो गया। मप्र के इतिहास में अब तक वे पहले मुख्यमंत्री है जिनका पद पर रहते निधन हुआ है। उस समय उनकी आयु 79 वर्ष थी। इस तरह रविशंकर शुक्ल ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और छह साल 340 दिन शासन चलाया।
रोचक तथ्य
पडिंत रविशंकर शुक्ल तीन बार अलग अलग परिस्थिति में मध्य भारत बरार, मध्य भारत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्होंने चुनाव सिर्फ एक बार ही लड़ा इसमें भी वे 10686 मतों से जीतने में सफल रहे। उनके बाद उनके पुत्र श्यामाचरण शुक्ल भी मप्र में तीन बार अलग अलग समय पर मुख्यमंत्री बने। यह मप्र के इतिहास में पहला मौका है जब कोई पिता पुत्र की जोड़ी ने मप्र के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है।
कब कब और कब से कब तक रहे मुख्यमंत्री
पहली बार 26 जनवरी 1950 से 30 मार्च 1952 ( दो साल दो माह पांच दिन)
दूसरी बार 31 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1956 ( चार साल सात माह एक दिन)
तीसरी बार 1 नवंबर 1956 से 31 दिसंबर 1956 ( दो माह )
कुल छह वर्ष छह वर्ष 340 दिन