Vrat tyohar kalashtami will be celebrated on may 12 know auspicious time and method of worship: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी कालाष्टमी कहलाती है। इस साल कालाष्टमी 12 मई को पड़ रही है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधकों के लिए कालाष्टमी का विशेष महत्व है। कालाष्टमी की रात तंत्र विद्या सीखने वाले साधक पूजा अर्चना और व्रत कर सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान करते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से आपके जीवन में सुख शांति स्थापित होती है। जीवन में आ रहे कष्ट, संकट, काल और दुख समाप्त हो सकते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कालाष्टमी व्रत का महत्व और पूजा विधि के बारे में बताएंगे।
शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी तिथि 12 मई को सुबह 9 बजकर 6 मिनट पर लग जाएगी और समापन 13 मई को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर होगा। साधक काल भैरव की पूजा रात में करते हैं, इसलिए कालाष्टमी 12 मई की ही मनाई जाएगी। इसी दिन व्रत रखा जाएगा।
पूजा विधि –
कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान भैरव के मंदिर या घर में उनके चित्र को चौकी पर रखकर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। काल भैरव का ध्यान करते हुए गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्प लें। काल भैरव को दूध, दही, बेलपत्र, धतूरा, धूप, दीप, फल, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें। अगले दिन व्रत का पारण करें और जरूरतमंदों को दान करें।
इन मंत्रों करें जाप
ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्