कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी ज्यादा कारगर नहीं है। यह खुलासा आईसीएमएआर की प्लेसिड ट्रायल रिपोर्ट में हुआ है। स्टडी में हमीदिया अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती 21 मरीजों काे शामिल किया था। इनमें से 10 मरीजाें का इलाज प्लाज्मा थैरेपी से किया गया, जबकि 11 का दवाओं से।
प्लाज्मा थैरेपी और नॉन प्लाज्मा थैरेपी पेशेंट के रिकवरी की रफ्तार एक जैसी ही रही। यह जानकारी गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के मेडिसिन डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. सिमी दुबे ने आईसीएमआर को भेजी अपनी प्लेसिड ट्रायल स्टडी रिपोर्ट में किया है। वे प्लेसिड ट्रायल रिसर्च प्रोजेक्ट की प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर के रूप में शामिल हुई थीं। हमीदिया में यह स्टडी 22 अप्रैल से 14 जुलाई 2020 के बीच भर्ती मरीजों पर की गई।
प्लाज्मा का एंटीबॉडी टेस्ट नहीं
डॉ. दुबे ने बताया कि अप्रैल से जुलाई के बीच प्लेसिड स्टडी में 10 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी। इनमें कोविड की एंटीबॉडी थी अथवा नहीं, इसकी जांच नहीं की गई थी। ऐसा, स्टडी के दौरान प्लाज्मा डोनेशन से पहले कोविड पॉजिटिव से निगेटिव हुए मरीज के ब्लड में एंटीबॉडी टेस्ट करने की अनिवार्यता नहीं होने से हुआ। अब कोविड मरीज को वही प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा है, जिसमें कोविड एंटीबॉडी बन चुकी है।
39 अस्पतालों में स्टडी
- देश में 39 सरकारी-निजी अस्पतालाें में 464 मरीजों पर हुई स्टडी। इनमें भोपाल, इंदौर के दो – दो और उज्जैन का एक अस्पताल शामिल।
- स्टडी में 235 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी और 229 मरीजों को स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया गया ।
- प्लाज्मा थैरेपी वाले 235 मरीजों में से 13.6 फीसदी और स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट लेने वाले 229 मरीजों में से 14.6% मरीजों की मौत हुई ।