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Shivling In Vaishakh: जानिए क्‍यों बांधते हैं वैशाख में शिवलिंग के ऊपर एक पानी से भरी मटकी

Upaaye know why a pot filled with water is tied on the shivling in vaishakh: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ पांच मई तक रहने वाले वैशाख में शिवलिंग के ऊपर एक पानी से भरी मटकी बांधने की परंपरा है। इस मटकी से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। वैशाख मास में ही ऐसा क्यों किया जाता है और इस परंपरा का क्या महत्व है। इससे जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। शिवलिंग के ऊपर बांधी जाने वाली मटकी को क्या कहते हैं, इसे कब और क्यों बांधते हैं? हम कई बार शिवलिंग के ऊपर एक मटकी बंधी हुई देखते हैं, जिसमें से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। ये दृश्य अक्सर गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है। इस परंपरा से जुड़ी कई बातें हैं।

क्या कहते हैं इस मटकी को

शिवलिंग को ऊपर जो पानी से भरी मटकी बांधी जाती है, उसे गलंतिका कहा जाता है। गलंतिका का शाब्दिक अर्थ है जल पिलाने का करवा या बर्तन। इस मटकी में नीचे की ओर एक छोटा सा छेद होता है जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर निरंतर गिरता रहता है। ये मटकी मिट्टी या किसी अन्य धातु की भी हो सकती है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस मटकी का पानी खत्म न हो।

इस परंपरा से जुड़ी कथा

धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन करने पर सबसे पहले कालकूट नाम का भयंकर विष निकला, जिससे संसार में त्राहि-त्राहि मच गई। तब शिवजी ने उस विष को अपने गले में धारण कर लिया। मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास में जब अत्यधिक गर्मी पड़ने लगती है जो कालकूट विष के कारण शिवजी के शरीर का तापमान में बढ़ने लगता है। उस तापमान को नियंत्रित रखने के लिए ही शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है। जिसमें से बूंद-बूंद टपकता जल शिवजी को ठंडक प्रदान करता है।

इसी से शुरू हुई परंपरा

शिवलिंग पर प्रतिदिन लोगों द्वारा जल चढ़ाया जाता है। इसके पीछे ही यही कारण है कि शिवजी के शरीरा का तापमान सामान्य रहे। गर्मी के दिनों तापमान अधिक रहता है इसलिए इस समय गलंतिका बांधी जाती है ताकि निरंतर रूप से शिवलिंग पर जल की धारा गिरती रहे।

इस बात का रखें खास ध्यान

वैसाख मास में लगभग हर मंदिर में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधी जाती है। इस परंपरा में ये बात ध्यान रखने वाली है तो गलंतिका में डाला जाने वाला जल पूरी तरह से शुद्ध हो। चूंकि ये जल शिवलिंग पर गिरता है इसलिए इसका शुद्ध होना जरूरी है। अगर किसी अपवित्र स्त्रोत से लिया गया जल गलंतिका में डालने से भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सफाई और शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी है।

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