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Atiq Ahmad: तांगेवाले का बेटा था अतीक, 17 साल में पहला मर्डर, जानिए मिट्टी में मिलने तक की पूरी कहानी

National atiq ahmad murder atiq ahmed was the son of tangewale the first murder in 17 years know the whole story:digi desk/BHN/नई दिल्ली/ प्रयागराज में अतीक अहमद के आतंक की कहानी आज से करीब 45 साल पहले शुरू होती है। प्रयागराज तक इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था और यहां फिरोज तांगेवाले का बेटा अतीक अहमद 17 साल की उम्र में पहली बार जुर्म की दुनिया में दस्तक देता है। मात्र 17 साल की उम्र में ही अतीक अहमद पर हत्या का आरोप लग चुका था। इसके बाद अतीक ने धीरे-धीरे जरायम की दुनिया में पैर जमाना शुरू किया और रंगदारी को ही अपना मुख्य धंधा बना लिया। 23 की उम्र तक अतीक ने अपराध की दुनिया में मजबूत पकड़ बना ली और प्रयागराज इलाके में तब के सबसे बड़े अपराधी 5 वर्ष में ही अतीक ने अपराध की दुनिया में पहचान मजबूत कर ली। तब के बड़े अपराधी चांद बाबा से खुन्नस रखने वाले रसूखदार लोगों ने अतीक को समर्थन करना शुरू कर दिया था।

चांद बाबा के गिरोह पर भारी पड़ा अतीक का आतंक

अतीक कुछ ही समय में बड़े गिरोह वाला अपराधी बन चुका था। चांद बाबा के गिरोह पर भारी पड़ने लगा था। अपराध की दुनिया में ताकत और दौलत कमाने के बाद अतीक अहमद ने राजनीति में पैर रखना शुरू किया, लेकिन हत्या, अपहरण, फिरौती के मामलों में मुकदमे दर मुकदमे दर्ज होते रहे, लेकिन राजनीतिक रसूख के कारण वह बेखौफ घूमता रहा।

1989 में अतीक ने पहली बार लड़ा विधानसभा चुनाव

साल 1989 में एक साल जेल में रहने के बाद अतीक अहमद ने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय पर्चा भरा। अतीक का मुकाबला कुख्यात चांद बाबा से था, लेकिन धनबल बाहुबल से जीत अतीक की ही हुई। अतीक के विधायक बनने के कुछ माह बाद ही चांद बाबा की हत्या हो गई। अब तत्कालीन इलाहाबाद में अतीक को टक्कर देने वाला कोई नहीं बचा। अतीक के सामने चुनाव में खड़ा होने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता था।

लगातार बनता रहा विधायक

अतीक अहमद ने निर्दलीय 1991 और 1993 में विधायकी का चुनाव जीता। उसके बाद साल 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चौथी बार विधायक बन गया। इसके अगले चुनाव में अतीक अहमद ने एक बार फिर अपनी पार्टी बदली लेकिन जीत हासिल नहीं कर सका, तब वह प्रतापगढ़ से अपना दल के टिकट पर लड़ा था। साल 2002 में अतीक अहमद अपना दल के टिकट पर पांचवीं बार उप्र विधानसभा पहुंचा। तब तक अतीक अहमद को राजनीति का नशा चढ़ चुका था और उसके रास्ते में जो भी आता था, उसे ठिकाने लगा देता था।

राजू पाल की हत्या, 12 साल बाद जांच के आदेश

राजू पाल की हत्या के 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए। CBI ने अतीक और अशरफ समेत 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। उमेश की मजबूत पैरवी पर हाई कोर्ट ने 2 महीने में राजू पाल हत्याकांड का ट्रायल पूरा करने का आदेश पिछले दिनों दिया था। लेकिन इससे पहले ही 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई।

इस दौरान अतीक अहमद बीते 5 साल से अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद रहा। अतीक व बरेली जेल में बंद उसके छोटे भाई अशरफ को उमेश पाल अपहरण मामले में 27 मार्च को कोर्ट में पेशी के लिए प्रयागराज लाया गया। 28 मार्च को पहली बार 100 से अधिक मुकदमों के आरोपी अतीक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।अतीक को इसके बाद वापस 11 अप्रैल को प्रयागराज लाया गया और तभी 13 अप्रैल को उसके बेटे असद का एनकाउंटर हो गया। लेकिन दो दिन बाद ही अस्पताल के बाहर अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

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