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MP Weather: प्रदेश में मार्च में वर्षा के कई दौर, फसलों को सूखने का मौका ही नहीं मिला

Madhya pradesh weather crop damaged due to rain in madhya pradesh in march: digi desk/BHN/भोपाल/ मार्च के महीने में मध्य प्रदेश के अधिकांश इलाकों में वर्षा के कई दौर आ चुके हैं। फसलों के पकने के समय में वर्षा ने उत्पादन और उपज की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। रुक-रुककर मौसम बिगड़ने से फसलों को सूखने का अवसर भी नहीं मिल सका। पूरे प्रदेश में सर्वाधिक गेहूं की फसल प्रभावित हुई है।ग्वालियर-चंबल अंचल में मुरैना में सरसों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। यहां के 17 गांवों में 3071 हेक्टेयर में सरसों की फसल को 70 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। भिंड में 1352 हेक्टेयर में सरसों, गेहूं और धनिया की फसल व शिवपुरी के पिछोर–खनियांधाना में 1230 हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान हुआ है।मुरैना के जौरा निवासी शिवदयाल धाकड़ ने बताया कि ओलवृष्टि से सरसों को दाने झड़ गए वहीं खेतों में पानी भरने से दाना गलकर काला पड़ गया। गेहूं के बालियां पूरी तरह खेतों में बिछ गईं। रुक-रुककर मौसम बिगड़ते रहने से फसलों को सूखने का मौका नहीं मिल सका।

बुंदेलखंड के छतरपुर, टीकमगढ़ और सागर में अंचल के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कम नुकसान है। मालवा- निमाड़ के कई जिलों में गुरुवार को भी वर्षा हुई। खंडवा में शुक्रवार दोपहर बूंदाबांदी हुई। अंचल में अभी गेहूं, लहसुन की फसल खेतों में ही है या फिर कटी रखी हुई है।बीते सप्ताह हुई वर्षा से गेहूं गीला हो गया और दाने की चमक चली गई। इधर, लहसुन गीली हो जाने से उसकी गुणवत्ता बिगड़ गई है। महाकोशल-विंध्य में हाल में हुई ओलावृष्टि और वर्षा से गेहूं, चना और मसूर की फसलों को नुकसान हुआ है। अंचल के जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, डिंडौरी, मंडला, शहडोल, रीवा, सतना, सिवनी, बालाघाट और सीधी जिलों में 15 से 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। इन जिलों में सबसे अधिक दलहनी फसलें प्रभावित हुई हैं।

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