सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ दूध जैसी दैनिक जरूरत की चीज में मिलावट करना दूध विक्रेता को महंगा पड़ा है। सतना की अदालत ने उसे कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सतना मीता पवार जंदेल ने मिलावटी दूध बेचने के मामले में सुरेश तिवारी पिता रामरूप तिवारी 27 वर्ष निवासी जिगनहट लोहरौरा थाना नागौद जिला सतना को 6 महीने के कारावास और 1 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। उसे खाद्य अपमिश्रण अधिनियम की धारा 7/16 के तहत अदालत ने दोषी पाया है। प्रकरण में राज्य शासन की तरफ से सहायक अभियोजन अधिकारी संदीप कुमार ने पैरवी की।
2010 में पकड़ा था मिलावटी दूध
अभियोजन प्रवक्ता हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि 15 मई 2010 को उप संचालक खाद्य एवं औषधि प्रशासन सतीश चंद्र मिश्रा की टीम ने सिविल लाइन में मिलावटी दूध की जांच के लिए दबिश दी थी। यहां चार डिब्बों में दूध लिए हुए आरोपित सुरेश तिवारी को पकड़ा गया था। यह दूध वह विक्रय करने और घर- घर पहुंचाने के लिए ले कर आया था। दूध के सेंपल लिए गए थे और उन्हें लैब में जांच के लिए भेजा गया था। लोक विश्लेषक राज्य खाद्य परीक्षक भोपाल की जांच रिपोर्ट में दूध को मिलावटी और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं पाया गया। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने मिलावटी दूध के विक्रय का प्रकरण दर्ज कर मामला अदालत में पेश किया था। जहां से पारित निर्णय में दूध विक्रेता को दंडादेश सुनाया गया।
खुलेआम होती है दूध में मिलावटखोरी
उल्लेखनीय है कि दूध जैसी खाद्य सामग्री जो कि बच्चों की सेहत लिए भी उपयोगी होता है जिसमें खुलेआम मिलावटखोरी होती है। इससे बच्चों सहित मरीजों की सेहत में भी असर पड़ता है। सतना जैसे जिले सहित पूरे प्रदेश में दूध में मिलावट करना आम हो गया है लेकिन मिलावटखोर आसानी से नहीं पकड़े जा रहे हैं। इनके सेंपल भी जांच के लिए भेजे जाते हैं लेकिन उसकी रिपोर्ट आने में भी वर्षों लग रहे हैं।