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Chaitra Navratri: नवरात्र में पांचवे दिन करें स्कन्द माता की आराधना, जानिए मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा विधि

Vrat tyohar know auspicious time and method of worship of skanda mata: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सनातन धर्म में शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र बड़े उत्साह से मनाया जाता है। साल में नवरात्र का पर्व चार बार आता है। विशेष रूप से शारदीय और चैत्र नवरात्रि प्रचलन में है। वहीं, दो बार गुप्त नवरात्र रहते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार पूरे नौ दिन के नवरात्र हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति मां स्कंदमाता हैं। 26 मार्च 2023, रविवार को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। देवी स्कंदमाता कार्तिकेय यानी कि स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में निसंतान दंपत्ति को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए, पौराणिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद जल्द भर जाती है। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं उपाय।

चैत्र नवरात्रि 2023 पांचवे दिन का मुहूर्त

चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि शुरू – 25 मार्च 2023, दोपहर 04.23

चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि समाप्त – 26 मार्च 2023, दोपहर 04.32

शुभ (उत्तम) – सुबह 07.52 – सुबह 09.24

प्रीति योग – प्रात: 12.20 – रात 11.33

रवि योग – 26 मार्च 2023, दोपहर 02.01 – 27 मार्च 2023, सुबह 06.18

माता स्कन्द की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। माता की चौकी सजाएं और फिर माता को पीला चंदन, पीली चुनरी, पीली चूड़ियां, पीले फूल अर्पित करें। पूजा में ऊं स्कंदमात्रै नम: का जाप करते रहे। मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है। माता के लिए केसर युक्त खीर भी अति प्रिय होती है। मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें और आरती के बाद 5 कन्याओं को केले का प्रसाद बांटें। मान्यता है इससे देवी स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती है और संतान पर आने वाले सभी संकटों का नाश करती है।

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

प्रार्थना मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

आरती

जय स्कंद माता, मैय्या जय स्कंदमाता

शक्ति भक्ति प्रदायिनी, सब सुख का दाता

जय स्कंद माता

कार्तिकेय की हो माता, शंभु की शक्ति

भक्त जनों की मैय्या, देना निज भक्ति

जय स्कंद माता

चार भुजा अति सोहे, गोदी में स्कंद

दया करो जग जननी, बालक हम मतिमंद

जय स्कंद माता

शुभ्रा वर्ण अति पावन, सबका मन मोहे

होता प्रिया मां तुमको, जो पूजे तोहे

जय स्कंद माता

स्वाहा स्वधा ब्राह्मणी, राधा रुद्राणी

लक्ष्मी शारदे काली, कमला कल्याणी

जय स्कंद माता

काम क्रोध मद मैय्या, जग जननी हरना

विषय विकारी तन मन को पवन कर्ण

जय स्कंद माता

नव दुर्गण में पंचम, मैय्या स्वरूप तेरा

पंचवे नवरात्रे को, होता पूजन तेरा

जय स्कंद माता

तू शिव धाम निवासिनी, महा विलासिनी तु

तू शमशान विहारिणी, तांडव लसिनी तू

जय स्कंद माता

हम अति दीन दुखी मां, कशटन ने घेर

अपना जान दया कर, बालक हैं तेरे

जय स्कंद माता

स्कंद माता जी की आरती, जो कोई गावे

कहत शिवानंद स्वामी, मननवांच्छित फल पावे

जय स्कंद माता

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