अनफिट पाए जाने के बाद डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऐसा मौका काफी कम लोगों को मिलता है। समाज के लिए समर्पण की इच्छा थी, लेकिन तकनीकी कारणों से मैं वैक्सीनेशन नहीं करा पा रहा हूं। उन्होंने कहा कि ट्रायल से पहले डॉक्टरों के साथ एक लंबी काउंसिलिंग होती है। उस काउंसिलिंग में बताई गई बातों से वॉलेंटियर कई आशंकाओं से घिर जाता है, क्‍योंकि वैक्सीनेशन के बाद सात दिन तक उसे टेलीफोनिक ऑब्जर्वेशन में रहना होता है। इसके बाद साल भर तक डॉक्टरों के पास उसे बार-बार आना पड़ता है। इस प्रक्रिया से वॉलेंटियर के मन में कई सवाल पैदा होने लगते हैं। हालांकि मैं जानकार नहीं हूं, लेकिन एक सामान्य व्यक्ति के नाते कह रहा हूं कि इस प्रक्रिया का सरलीकरण होना चाहिए। मुझे नहीं पता यह बात कहां कहनी चाहिए, इसलिए मीडिया के सामने इसे कह रहा हूं। उम्मीद है कि डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इस दिशा में ध्यान देंगे। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मेरी पत्नी कोरोना संक्रमित हुई थी और इस दौरान मैं उनके साथ रहा था, इसलिए मुझे वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती।