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Singrauli: 8 माह से धूल फांक रहा बाबू मुनींद्र मिश्रा के स्थानांतरण का आदेश पत्र

तहसील एवं उपखंड कार्यालय देवसर की अव्यवस्थाओं पर अंकुश लगाना नवागत कलेक्टर के सामने बड़ी चुनौती

लंबे अर्से से फल फूल रहा, मुआवजा एवं भू माफियाओं का अवैध कारोबार

सिंगरौली/ देवसर नवागत कलेक्टर के सामने तहसील कार्यालय देवसर में पदस्थ जिम्मेदारों की मनमानी पर अंकुश लगाना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी,आलम यह है, कि तहसील उपखंड एवं कलेक्टर कार्यालय में पूरी तरह से बाबू राज कायम है।बाबू का एक गेग जिला बनने के समय से ही सक्रिय है। बाबू मुनेंद्र मिश्रा के ट्रांसफर के संबंध में कलेक्टर का आदेश भी धूल फांक रहा है और बाबू सरेआम मनमानी कर रहे हैं, फिलहाल देवसर तहसील कार्यालय में पदस्थ बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर कुछ इसी तरह के आरोप लग रहे हैं बताया जाता है कि इनका चितरंगी के लिए ट्रांसफर हो चुका है और कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली से कई आदेश जारी हुआ है लेकिन दबंग बाबू भार मुक्त नहीं हुए हैं। बताते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर अपराध इओडब्ल्यू कार्यालय रीवा मे एक 2015 में और एक 2022 में दर्ज होने के बाद भी संबंधित दबंग बाबू को देवसर सरई से चितरंगी रिलीव नहीं किया गया है। जिससे जांच प्रभावित हो रही है स्थानांतरण आदेश करीब 8 माह पूर्व जारी हुआ था लेकिन आज तक बाबू को देवसर से भारमुक्त नहीं किया गया ।

इस बीच कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली से कई बार भारमुक्त होने संबंधित पत्र जारी हुए। लेकिन किसी भी पत्र पर अमल नहीं हुआ और अभी भी संबंधित बाबू देवसर कार्यालय में पदस्थ है। अब देखना है कि नवागत कलेक्टर रिलीव करते हैं कि नहीं बताते हैं कि दबंग बाबू मिश्रा एक ही जगह पर करीब 25 वर्षों से पदस्थ है । कई आरोप की पुष्टि होने के बाद भी देवसर तहसील से स्थानांतरण के बाद भी भार मुक्त नहीं किया जा रहा है।

तत्कालीन कलेक्टर द्वारा कमिश्नर रीवा को पत्र लिखकर दोषी करार दिया गया था

वर्ष 2010-11 में ही तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा कमिश्नर रीवा को पत्र लिखकर दोषी करार दिया गया था और ईओडब्ल्यू रीवा के द्वारा नियमित अपराध क्रमांक 28/15 दर्ज कर विवेचना की जा रही है। जिस में पदस्थ 25 वर्षों से अभिलेखागार प्रभारी बाबू प्रमुख दोषी के रूप में है। ईओडब्ल्यू के द्वारा मार्च 2022 में देवसर तहसील से अन्यत्र बाबू को ट्रांसफर करने के लिए कलेक्टर सिंगरौली को पत्र लिखे जाने के बाद कलेक्टर सिंगरौली द्वारा चितरंगी तहसील ट्रांसफर किया गया जो लगभग सात-आठ माह बीत चुका और कलेक्टर कार्यालय से कई विभिन्न दिनांक को पत्र जारी होने के बाद भी भारमुक्त न करना कई सवाल खड़ा कर रहा है। बताते चलें कि हरीशंकर शुक्ला को इसी प्रकरण में 12 साल पहले सेवा से पृथक दिया गया है, जबकि पटवारी का कहना है कि मैं निर्दोष हू, मुख्य दोषी जिले में बैठे बाबू आशुतोष द्विवेदी एवं मुनेंद्र मिश्रा एवं उपेंद्र सिंह तत्कालीन तहसीलदार एवं तत्कालीन उपखंड अधिकारी रोहिणी त्रिपाठी, पटवारी एवं कुछ भूमाफिया इसमें दोषी है इस मामले की जांच अगर सीबीआई से या तो किसीअन्य स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाय नहीं तो हम 14 नवंबर 2022 से अनशन पर बैठने के लिए मजबूर होंगे। इसके अलावा सिंगरौली जिले में मुआवजा एवं भू माफियाओं का अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है , इस अवैध कारोबार को तहसील एवं उपखंड कार्यालय के जिम्मेदार ही संरक्षण दे रहे हैं। यदि इस अवैध कारोबार की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए तो सारा मामला सामने आ जाएगा एवं कई जिम्मेदारों पर गाज भी गिर सकती है। फिलहाल नवागत कलेक्टर से उम्मीद की जा रही है कि इस समस्या के प्रति निश्चित रूप से गंभीर कदम उठाएंगे।

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