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Satna: श्रीकृष्ण ने पर्यावरण एवं प्रकृति की रक्षा के लिए शुरू की थी गोवर्धन पूजा की परंपरा-मुख्यमंत्री

भोपाल से आयोजित गोवर्धन पूजा कार्यक्रम का कलेक्ट्रेट में हुआ सीधा प्रसारण


सतना/भोपाल, भास्कर हिंदी न्यूज़/ गोवर्धन पूजा के अवसर पर कुशाभाउ ठाकरे सभागार भोपाल से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में आयोजित पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती विषय पर आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट सभागार सतना में सांसद सतना गणेश की अध्यक्षता में देखा एवं सुना गया। इस अवसर पर महापौर योगेश ताम्रकार, कलेक्टर अनुराग वर्मा, अपर कलेक्टर संस्कृति जैन, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित झाड़े, उप संचालक कृषि केसी अहिरवार, जिला समन्वयक जन अभियान डॉ राजेश तिवारी सदस्य बाल कल्याण समिति जान्हवी त्रिपाठी, प्रियांशा उरमलिया एवं जिले के पर्यावरणविद, प्राकृतिक खेती से जुड़े किसान तथा विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने पर्यावरण एवं प्रकृति की रक्षा के लिए गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू की थी, जिसे आज भी त्यौहार के परंपरागत रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रीन सिटी इंडेक्स का भी शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान ने दीपावली की शुभकामनायें दीं। उन्होने कहा कि किसान परंपरागत रूप से पालतू जीवों की व्यवस्था करता आया है। हमारे देश का नारा है वसुधैव कुटुम्बकम, सभी का कल्याण हो, सभी निरोगी हों, सभी सुखी हों, हमारी परंपरा में वन एवं पालतू जीवों तथा वनस्पति पूजा की परंपरा रही है, भारत के दर्शन से ही प्रकृति का संरक्षण कर सकती है। हमें धरती को सुरक्षित बनाये रखने के लिए सोचना होगा। सरकार और समाज मिलकर इसके लिए कार्य करें। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन लाइफ की थ्योरी दी है। इसके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा, हमें पेड़ लगाना होगा। पानी की बरबादी रोकनी होगी।
कार्यक्रम में स्वामी गौरांग ने संशोधित करते हुए कहा कि गोवर्धन भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप है। गोवर्धन से आशय भगवान श्री कृष्ण हर दृष्टि से ब्रजभूमि का वर्धन करें। पर्यावरण में हमारी चेतना हमारे मन का बहुत महत्व है। आज अपनी आवश्कताओं के लिए प्रकृति के शोषण की प्रवृत्ति बढ़ रही है। पर्यावरण की समस्या के निदान के लिए प्रक्रति की सेवा करना होगा। मिट्टी तथा जल का संरक्षण करना होगा। स्थायी विकास के लिए हर व्यक्ति को अपनी आदतों को नियंत्रित करना होगा। हम सबको मिलकर पर्यावरण परिवर्तन करने के लिए उपभोक्ता वादी संस्कृति से बचना होगा।

प्राकृतिक खेती किसानों के लिये वरदानः सांसद

जिला स्तर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुये सांसद गणेश सिंह ने कहा कि दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। प्रकृति के संरक्षण का यह अनुपम त्यौहार मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पहली बार सरकारी स्वरुप में मनाने की पहल की है। उन्होने कहा कि गोधन और गौवंश संवर्धन सरकार का अभिन्न हिस्सा हैं। सांसद श्री सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिये वरदान तो है ही इसके अलावा यह आज की आवश्यकता भी है। वर्तमान में किसान भी इस ओर रुचि दिखा रहे हैं। सतना जिले में भी हर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होने प्राकृतिक खेती के अच्छे प्रयोगो को प्रेरणा स्वरुप किसानों के बीच रखने पर बल दिया।
महापौर योगेश ताम्रकार ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रकृति और अपनी अमूल्य धरोहर से जुड़े त्यौहारों को धार्मिक महत्व के साथ पूरे प्रदेशवासियों की सहभागिता से जोड़कर अपनी गौरवशाली परंपराओं का संवर्धन किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर एक से 7 नवम्बर तक होंगे विविध आयोजन

मध्यप्रदेश का 67वां स्थापना दिवस जन-उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। स्थापना दिवस एक नवम्बर से सात नवम्बर तक रचनात्मक गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी। स्थापना दिवस पर जन-सेवा अभियान में पात्र हितग्राहियों को स्वीकृति-पत्र तथा अन्य लाभ वितरण के लिए सभी जिलों में कार्यक्रम किए जाएंगे। सभी 52 जिलों में 50 लाख से अधिक पात्र हितग्राही कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
स्थापना दिवस पर कार्यक्रमों की श्रंखला में एक नवम्बर को सभी जिलों में जन अभियान परिषद के सहयोग से प्रभात फेरियाँ निकाली जायेंगी। दोपहर एक बजे सभी जिलों में जन-सेवा अभियान स्वीकृति-पत्र और अन्य लाभों के वितरण का कार्यक्रम होगा और शाम को भोपाल में सांस्कृतिक प्रस्तुति होगी। इस क्रम में दो नवम्बर को लाड़ली लक्ष्मी योजना की लाड़लियों और उनके माता-पिता के सम्मेलन सभी जिलों में किए जाएंगे। तीन नवम्बर को सभी जिलों में स्वच्छता गतिविधियाँ और महत्वपूर्ण स्थलों पर 67 दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इसी दिन से ग्रामीण खेल प्रतियोगिता और व्यंजन प्रतियोगिताएँ भी होंगी। चार नवम्बर को ‘एक जिला-एक उत्पाद’ पर प्रदेश के सभी जिलों में गतिविधियाँ संचालित होंगी। साथ ही रोजगार मेले भी लगाए जाएंगे। पाँच नवम्बर को प्रदेश के गौरव पर केंद्रित नाटक, लोक नृत्य और जननायकों पर प्रतियोगिताएँ होगीं। छह नवम्बर को सभी जिलों में वृक्षा-रोपण, जल-संरक्षण, ऊर्जा की बचत और पर्यावरण पर केंद्रित गतिविधियाँ की जाएंगी।
कार्यक्रमों की श्रंखला में सात नवम्बर को सभी जिला मुख्यालयों और राज्य स्तर पर हुई प्रतियोगिताओं और खेल गतिविधियों के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। इसी दिन सभी जिला मुख्यालयों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय परिवेश की सांस्कृतिक गतिविधियों को विशेष रूप से सम्मिलित किया जाएगा। ग्राम स्तर पर हुई प्रतियोगिताओं के पुरस्कार ग्राम स्तर पर ही वितरित किए जाएंगे। मध्यप्रदेश गान के प्रति लगाव और सम्मान के उद्देश्य से भी गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी।

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