Mahakal first ride of Aghan month: उज्जैन/ कार्तिक मास में भगवान महाकाल की आखिरी सवारी सोमवार को पूर्णिमा के महासंयोग में निकलेगी। राजाधिराज महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर तीर्थ पूजा के लिए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट जाएंगे। इसके बाद अगहन मास की सवारी का क्रम शुरू होगा। अगहन मास की पहली सवारी 7 दिसंबर को निकलेगी।
महाकाल मंदिर के सभा मंडप में सोमवार को दोपहर 3.30 बजे प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी भगवान महाकाल के मनमहेश रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। इसके बाद सवारी महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी, रामानुजकोट होते हुए शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां पुजारी भगवान महाकाल तथा तीर्थ पूजन करेंगे। पूजन पश्चात सवारी राणौजी की छत्री घाट के रास्ते गणगौर दरवाजा से नगर प्रवेश करेगी। इसके बाद कार्तिक चौक,ढाबारोड, टंकी चौराहा, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए शाम करीब 6 बजे महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
भीड़ नियंत्रण के इंतजाम करना होंगे
पूर्णिमा पर स्थानीय के साथ ही दूरदराज से बड़ी संख्या में भक्त शिप्रा स्नान व दीपदान करने आते हैं। जिस समय भगवान महाकाल की सवारी शिप्रा तट पहुंचेगी, सवारी मार्ग व घाट क्षेत्र में भक्तों की संख्या अधिक रहेगी। ऐसे में प्रशासन को भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त इंतजाम करना होंगे।
शाही सवारी पर सोमवती अमावस्या का संयोग
कार्तिक-अगहन मास की शाही सवारी इस बार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या के विशिष्ट संयोग में निकलेगी। कार्तिक-अगहन में शाही सवारी के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग सालों बाद बन रहा है। इस सवारी में भी भक्तों की भीड़ रहेगी। इस दिन सैकड़ों भक्त रामघाट व सोमतीर्थ पर स्नान करेंगे।