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Dussehra: विजयादशमी 4 अक्टूबर को दोपहर 02.20 बजे से, जानिये इसका धार्मिक महत्व

Vijayadashami Puja Muhurat and Vidhi: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा इस साल 5 अक्टूबर को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। हर साल दशहरा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ  मनाते हैं। दशहरा मनाने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिसके अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। वहीं मां दुर्गा ने भी इस दिन महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था।

इसी कारण इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा पर्व के साथ ही नवरात्रि के नौ दिन का भी समापन हो जाता है। इसके साथ ही रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतने का दहन भी किया जाता है। इस बार भी दशहरे की धूम चारों तरफ नजर आ रही है। आइए जानते हैं इस बार रावण दहन का शुभ मुहूर्त-

दशहरा तिथि प्रारंभ

ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि इस बार दशहरा तिथि 4 अक्टूबर, दोपहर 02.20 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी और 5 अक्टूबर दोपहर 12 बजे खत्म हो जाएगी। लेकिन हिंदू मान्यताओं के अनुसार त्योहार उदया तिथि के हिसाब से मनाई जाती है और उदया तिथि 5 अक्टूबर को है इसलिए दशहर 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

क्या होती है उदया तिथि

उदया तिथि यानी की वो तिथि जो सूर्योदय के समय मौजूद रहती है। यानी जिस दिन तिथि में सूर्योदय होता है, वह पर्व के हिसाब से तिथि मान्य होती है।

दशहरा के दिन बन रहे रवि, सुकर्मा और धृति योग

ज्योतिर्विदों के अनुसार दशहरा के दिन मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि दशहरा तिथि एक अबूझ मुहूर्त मानी जाती है और इस साल दशहरा बहुत ही शुभ योगों के बीच बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ रहा है, इस दिन रवि नामक योग, सुकर्मा और धृति योग भी बन रहे हैं। हालांकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। जैसे गाड़ी खीदना, नया व्यापार शुरु करना या फिर जमीन खरीदना।

दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का महत्व

दशहरा के दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का महत्व है। क्योंकि इस दिन इस दिन 10 दिन से चलने वाले युद्ध में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था और भगवान राम ने रावण का अंत करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इन दोनों घटनाओं की वजह से इस पर्व को असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

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