hriyana model: भोपाल/ मध्य प्रदेश सरकार सब्जियों का समर्थन मूल्य तय करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। यह तय हो गया है कि करीब 12 सब्जियां इसके दायरे में आएंगी। यदि समर्थन मूल्य से कम पर किसान की सब्जी बिकती है तो उसके नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी। उद्यानिकी विभाग इस संबंध में रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहा है। रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री की मुहर लगने के बाद भिंडी, लौकी और गोभी समेत करीब एक दर्जन सब्जियां न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में आ जाएंगी।
सरकार प्रदेश में इसके लिए हरियाणा मॉडल लागू करने की तैयारी कर रही है। पहले अधिकारियों ने केरल की तर्ज पर सब्जियों के दाम तय करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के समक्ष रखा था, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया है। दरअसल, हरियाणा में 16 सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सरकार ने तय कर रखा है।इसके मुताबिक ही किसानों से सब्जियां खरीदी जा रही हैंं। उधर, केरल सरकार ने एक नवंबर से इतनी ही सब्जियों के दाम तय किए हैं। केरल में सुरन 12 रुपये, लौकी नौ, खीरा आठ, पत्ता गोभी 11, आलू 20, चुकंदर 21, गाजर 21 रुपये प्रति किलो का भाव तय है।
इन सब्जियों को दायरे में लेने की योजना
भिंडी, लौकी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, टमाटर, खीरा, गिलकी, पालक, बरबटी, गाजर, चुकंदर व आलू।
किसानों की सब्जी बिचौलिए खरीद रहे सस्ती
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में सब्जियां किसानों से सस्ते में खरीद कर बिचौलिए महंगे दामों में बेच रहे हैं। भोपाल की थोक करोंद मंडी में पत्ता गोभी, बैंगन और लौकी जैसी सब्जियों के किसानों को आठ रुपये किलो दाम ही मिल पा रहे हैं, जबकि फुटकर बाजारों में यह 30 से 40 रुपये किलो तक है।
इसके अलावा हाल ही में इंदौर, बड़वानी समेत कई जिलों में किसानों की सब्जी कम कीमत पर खरीदने के मामले सामने आ चुके हैं। कई किसानों को भाव इतने कम मिल रहे हैं कि वे वापस ले जाने के बजाय सब्जी मंडी में ही फेंककर चले जाते हैं। इसके चलते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्यानिकी एवं गृह विभाग के अधिकारियों की बैठक ली थी और सब्जियों के न्यूनतम मूल्य तय करने को लेकर रिपोर्ट मांगी थी।