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Satna: डेढ़ वर्ष में 346 प्रकरण निराकृत कर बाल कल्याण समिति सतना अव्वल

जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में पाक्सो एक्ट की कार्ययोजना अनुमोदित

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले की नव गठित बाल कल्याण समिति ने अपने कार्यकाल के डेढ़ साल में फरवरी 2021 से 31 जुलाई 2022 तक समक्ष में प्रस्तुत हुए कुल 361 बच्चों के प्रकरणों में 346 प्रकरणों का निराकरण कर प्रदेश में अव्वल स्थान दर्ज किया है। इस आशय की जानकारी शुक्रवार को जिला पंचायत के सीईओ डॉ परीक्षित झाड़े की अध्यक्षता में संपन्न जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में दी गई। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसके जैन, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा एवं समिति सदस्य, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक अवधिया, जिला बाल संरक्षण अधिकारी सौरभ सिंह, रेलवे स्टेशन अधीक्षक प्रदीप अवस्थी, सिविल सर्जन डॉक्टर केएल सूर्यवंशी तथा सेवा भारती एवं अन्य स्टेकहोल्डर संस्था प्रतिनिधि उपस्थित थे।
जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में पाक्सो एक्ट के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूलों एवं छात्रावासों में जागरूकता के कार्यक्रम किए जाने की कार्य योजना वर्ष 2022-23 का अनुमोदन किया गया। बच्चों के पुनर्वास की समीक्षा के दौरान बताया गया कि जिला बाल कल्याण समिति सतना द्वारा गठन दिनांक से अब तक 346 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। समिति के समक्ष 361 बच्चों के प्रकरण प्रस्तुत हुए हैं, जिनमें 12 प्रकरण लंबित हैं। पाक्सो के 10 प्रकरण, बाल विवाह के 5, बाल श्रम के 3, लीगल फ्री 16 और पाक्सो के 3 प्रकरणों में आर्थिक सहायता एवं काउंसलिंग की गई है। बच्चों के पुनर्वास के लिए गठित किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक पूर्व के लंबित प्रकरण 802 थे। जिनमें 80 बच्चे समक्ष में प्रस्तुत हुए हैं और कुल 98 प्रकरणों का निराकरण किया गया। बोर्ड के समक्ष अभी भी 784 प्रकरण लंबित हैं।
बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि बाल संरक्षण के तहत चाइल्डलाइन, गैर-संस्थागत और संस्थागत देखभाल, खुले आश्रय गृह के अलावा किशोर न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति इस दिशा में कार्य करती है। शासकीय स्पॉन्शरशिप योजना में 42, निजी स्पॉन्सरशिप योजना में 157, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना में 34, पीएम केयर चिल्ड्रन फंड में 14 और स्ट्रीट चिल्ड्रन सर्वे में 53 बच्चों को लाभान्वित किया गया है। इसके अलावा बालक-बालिका गृह जिले में संचालन के लिये 7 संस्थाओं ने प्रस्ताव दिए हैं। बाल कल्याण समिति ने कहा कि उम्र निर्धारण के लिए मेडिकल एमआर में किसी एक डॉक्टर को नामांकित किया जाए तथा धारा 19(6) में पाक्सो के तहत केस रजिस्टर्ड होने पर थाने द्वारा बाल कल्याण समिति को सूचना देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा किशोर बालकों की पुनर्वास में मदद के लिए जे.जे. फंड भी बनाए जाएं। सीईओ जिला पंचायत ने कहा है कि किशोर और बालकों का पुनर्वास संवेदनशील विषय है, समाज में इस ओर जागरूकता लाएं। बैठक में बाल कल्याण समिति की सदस्य जान्हवी त्रिपाठी, चांदनी श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव, रेखा सिंह सोमवंशी भी उपस्थित रहीं।

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