Janmashtami 2022: digi desk /BHN/ मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। उस समय रोहिणी नक्षत्र था। चंद्र उदय भी देर रात्रि में हुआ था। ऐसा ही संयोग इस बार जन्माष्टमी पर पड़ रहा है।
द्वारकापीठ एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रायपुर स्थित शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ब्रम्हचारी डॉ इंदुभवानंद महाराज के अनुसार 19 अगस्त को अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग है। साथ ही देर रात 11.24 बजे चंद्र उदय का समय है। इसी संयोग में जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है।
अष्टमी तिथि 18 अगस्त गुरुवार रात 12:14 से आरंभ होकर 19 अगस्त शुक्रवार रात एक 1/06 तक रहेगी।अतः 19 अगस्त शुक्रवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत तथा गोकुलाष्टमी सभी जगहों पर मनाई जाएगी। गोकुल, द्वारका ,एवं मथुरा आदि स्थानों में भी उत्सव के रूप में जो अष्टमी मनाई जाती है वह भी शुक्रवार को मनाई जाएगी।
इस बार श्रीकृष्णजन्माष्टमी में जन्म जयंती योग बन रहा है। अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश होने से जन्म जयंती योग बन जाता है,तथा चंद्रोदय भी रात में 11:24को होगा । इस बार वैष्णव तथा स्मार्त्त दोनों मत को मानने के लिए 19 अगस्त 2022 शुक्रवार को ही श्री कृष्णजन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए, केवल उदयव्यापिनी रोहिणी मतावलंबी दूसरे दिन अर्थात् शनिवार को कर सकते हैं।
फल-फूल, मेवों, सब्जियों के झूलों में झूलेंगे कान्हा
मंदिरों में लड्डू गोपाल के लिए प्रतिदिन झूलों का श्रृंगार अलग अलग रूप में किया जा रहा है। कहीं चांदी से बना झूला तो कहीं फल-फूल, मेवों, सब्जियों से झूलों का श्रृंगार किया जा रहा है। राधा-कृष्ण मंदिरों में फल, फूल, काजू-किशमिश, बादाम, मूंगफली, पान पत्ता, माखन-मिश्री, मोर पंख सहित अन्य वस्तुओं से झूला सजाया जा रहा है। श्रावणी तीज से श्रृंगार का सिलसिला शुरू हुआ था, जो जन्माष्टमी तक लगातार चलेगा।