Trade jio showed its power in purchase of 5g spectrum became king by bidding rs 88078 crore: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ केंद्र सरकार की ओर से 26 जुलाई से शुरू हुई 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी आखिरकार खत्म हो गई। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर 20 साल के लिए लीज मिली है। इसके लिए कुल 72 गीगाहर्ट्ज (GHz) 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उपलब्ध थे। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान औसत रूप से रिलायंस जियो इंफोकॉम ने 88,078 करोड़, एयरटेल ने 43,084 करोड़, वोडाफोन-आईडिया ने 18,784 करोड़ जबकि दूरसंचार की दुनिया में पहली बार कदम रख रहे अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने 212 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम खरीदे हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि 5G आखिर है क्या? इस स्पेक्ट्रम नीलामी में किसे क्या मिला? 5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा? क्या इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे? आम उपभोक्ता को कब तक 5G सेवाएं मिलने लगेंगी? 5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?
5G है क्या
आसान शब्दों में समझें तो 5G सबसे आधुनिक स्तर का नेटवर्क है, जिसके अंतर्गत इंटरनेट स्पीड सबसे तेज होगी। इसकी विश्वसनीयता ज्यादा होगी और इसमें पहले से ज्यादा नेटवर्क को संभालने की क्षमता होगी। इसके अलावा इसकी मौजूदगी का क्षेत्र ज्यादा होगा और एक्सपीरियंस भी यूजर फ्रेंडली होगा। 5G की सबसे खास बात यह है कि यह निचली फ्रीक्वेंसी के बैंड से लेकर हाई बैंड तक की वेव्स में काम करेगा। यानी इसका नेटवर्क ज्यादा व्यापक और हाई-स्पीड होगा।
इस स्पेक्ट्रम नीलामी में किसने हिस्सा लिया
इस स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए केवल भारतीय कंपनियों को शामिल होने की अनुमति मिली। इस वक्त देश में दो सरकारी और तीन प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां ऑपरेट कर रही हैं। सरकारी कंपनियों में एमटीएनएल और बीएसएनएल हैं। वहीं, प्राइवेट कंपनियों में वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जियो शामिल है। पहले से स्थापित प्राइवेट कंपनियों के अलावा स्पेक्ट्रम नीलामी में अदाणी को भी 400 मेगाहर्ट्ज बैंड का आवंटित हुआ है।