Tuesday , May 21 2024
Breaking News

Janmashtami: इस दिन मनाया जाएगा कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार,  जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Tyohar the festival of krishna janmashtami will be celebrated on this day know its worship method and auspicious time: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ जन्माष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता है। मथुरा नगरी में असुर राज कंस के कारागार में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। वे भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्मे थे। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि थी। और चंद्रमा का उदय हो रहा था। उस समय रोहिणी नक्षत्र भी चल रहा था। इसलिए इस दिन को हर साल कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वहीं इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त 2022 को मनाया जाने वाला है। इस दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि के उपवास के साथ शुरू होता है और नवमी तिथि को इस व्रत का पारण के साथ समापन हो जाता है।

जन्माष्टमी तिथि शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी इस साल दो दिन तक मनाई जाएगी। 18 अगस्त के दिन इसे स्मार्त संप्रदाय के लोग मनाएंगे। यानी कि जो लोग गृहस्थ जीवन में है वो 18 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग 19 अगस्त को मनाएंगे। बता दें कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 18 अगस्त को रात 09:21 से हो रहा है। वहीं यह अष्टमी तिथि 19 अगस्त को रात 10:59 तक रहेगी।

जन्माष्टमी तिथि का व्रत नियम

जन्माष्टमी पर देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए इनका विधिवत पूजन करें। इस दिन फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पूरी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है। जन्माष्टमी के व्रत को एकादशी के व्रत की तरह ही रखा जाता है। इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत एक निश्चित अवधि में ही तोड़ा जा सकता है। जिसे पारण मुहूर्त कहते हैं। जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद ही तोड़ा जाता है।

जन्माष्टमी का महत्व

  • जन्माष्टमी के दिन देश के सभी मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
  • साथ ही श्रीकृष्ण के अवतार के उपलक्ष्य के रूप में झांकियां सजाई जाती है।
  • भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके उनका झूला सजाकर उन्हें झूला झुलाया जाता है।
  • रात को बारह बजे शंख और घंटियों की आवाज से श्री कृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूंज उठती है।
  • भगवान कृष्ण की आरती की जाती है और फिर प्रसाद का वितरण किया जाता है।

About rishi pandit

Check Also

शनि के कष्ट को समझें, आने वाला है सुनहरा समय

शनिदेव के बारे में लोगों की नकारात्मक धारणा एवं भ्रम का कारण है, उनका सच्चा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *