PM modi virtually addressed a programme marking the 10th death anniversary of late harmohan singh yadav: digi desk/BHN/कानपुर/ पीएम मोदी ने समाजवादी विचारधारा के वरिष्ठ नेता चौधरी हरमोहन सिंह की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कानपुर के मेहरवान पुरवा में आयोजित समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जहां एक ओर सामाजिक न्याय की चर्चा की तो दूसरी तरफ विपक्ष के विरोध और उसके तरीके पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिलें, जीवन की मौलिक जरूरतों से कोई भी वंचित न रहे। दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांग, जब आगे आएंगे, तभी देश आगे जाएगा। वहीं विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये हर एक राजनैतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध… देश के विरोध में न बदले। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, तो हो सकती हैं। लेकिन, देश सबसे पहले है।
पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें
- आज, हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतान्त्रिक दिन भी है। आज हमारी नई राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण हुआ है।आजादी के बाद पहली बार आदिवासी समाज से एक महिला राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही हैं।
- लोहिया जी के विचारों को उत्तर प्रदेश और कानपुर की धरती से हरमोहन सिंह यादव जी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति में जो योगदान किया, समाज के लिए जो कार्य किया, उनसे आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन मिल रहा है।
- हरमोहन सिंह यादव जी ने न केवल सिख संहार के खिलाफ राजनैतिक स्टैंड लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर लड़े। अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कितने ही सिख परिवारों की, मासूमों की जान बचाई। देश ने भी उनके इस नेतृत्व को पहचाना, उन्हें शौर्य चक्र दिया गया।
- दलों का अस्तित्व लोकतन्त्र की वजह से है, और लोकतन्त्र का अस्तित्व देश की वजह से है। हमारे देश में अधिकांश पार्टियों ने, विशेष रूप से सभी गैर-काँग्रेसी दलों ने इस विचार को, देश के लिए सहयोग और समन्वय के आदर्श को निभाया भी है।
- हालांकि, हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थों को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हुआ है। कई बार तो सरकार के कामों में विपक्ष के कुछ दल इसलिए अड़ंगे लगाते हैं क्योंकि जब वो सत्ता में थे तो अपने लिए फैसले वो लागू नहीं कर पाए।
- आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतन्त्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने, हम सबने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई भी लड़ी। चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी भी उस संघर्ष के एक जुझारू सैनिक थे। यानी, हमारे यहाँ देश और समाज के हित, विचारधाराओं से बड़े रहे हैं।
- ये हर एक राजनैतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध देश के विरोध में न बदले। विचारधाराओं का अपना स्थान है, और होना चाहिए। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, तो हो सकती हैं। लेकिन, देश सबसे पहले है, समाज सबसे पहले है। राष्ट्र प्रथम है।
- सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिलें, जीवन की मौलिक जरूरतों से कोई भी वंचित न रहे। दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांग, जब आगे आएंगे, तभी देश आगे जाएगा। हरमोहन जी इस बदलाव के लिए शिक्षा को सबसे जरूरी मानते थे।
- समाज की सेवा के लिए ये भी आवश्यक है कि हम सामाजिक न्याय की भावना को स्वीकार करें, उसे अंगीकार करें। आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये समझना और इस दिशा में बढ़ना बहुत जरूरी है।