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Satna: ‘उज्ज्वल भारत-उज्जवल भविष्य’ के तहत दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होंगे 

 

आयोजन 29 जुलाई को रामपुर बघेलान एवं 30 जुलाई को टाउन हाल सतना में

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ केन्द्र शासन के उर्जा विभाग द्वारा राज्य शासन के सहयोग से आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सतना जिले में दो दिवसीय ‘उज्जवल भारत एवं उज्जवल भविष्य पॉवर-2047 महोत्सव के कार्यक्रम आयोजित किये जायेगें। यह कार्यक्रम 29 जुलाई को अपरान्ह 4 बजे से विधायक रामपुर बाघेलान विक्रम सिंह के मुख्यातिथ्य में शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रामपुर बाघेलान के सभागार में आयोजित होगी। इसी प्रकार 30 जुलाई को अपरान्ह 4 बजे से टाउन हॉल सतना में प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल के मुख्यातिथ्य एवं सांसद सतना गणेश सिंह की विशेष उपस्थिति में जिला प्रशासन एवं ऊर्जा से जुडी संस्थाओं द्वारा आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम में विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उर्जा एवं वैकल्पिक उर्जा के क्षेत्र में किये गये कार्यों का पोस्टर एवं लघु फिल्म, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्रदर्शन किया जायेगा।

मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में सतना जिला प्रथम स्थान पर

मध्यप्रदेश शासन द्वारा युवाओं को स्व-रोजगार के माध्यम से रोजगार प्रदाय करने के लिये सतना जिले के 3 हजार युवा-युवतियों को मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के माध्यम से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना में प्रगति बनाये रखने के लिये कलेक्टर अनुराग वर्मा ने जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अपने अनुविभाग में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना की नियमित रुप से समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं। ताकि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को योजना का लाभ सुगम तरीके से मिल सके। उल्लेखनीय है कि सतना जिला मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान पर चल रहा है।

महाप्रबंधक उद्योग यूबी तिवारी ने बताया कि कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अपने क्षेत्र के बैंक शाखा प्रबंधकों, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद एवं उद्योग विभाग के सहायक प्रबंधक स्तर के अधिकारियों की संयुक्त बैठक लेकर प्रत्येक सप्ताह बैंक शाखावार प्रगति की समीक्षा करेंगे। कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बैंक शाखा प्रबंधकों को योजना के तहत प्रतिमाह प्रति शाखा 5-5 प्रकरण की स्वीकृति एवं वितरण किये जाने के निर्देश दिये हैं। लक्ष्य पूर्ति के लिये जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारियों को समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं। इसके पश्चात कलेक्टर स्वयं संपूर्ण जिले में योजना अंतर्गत की गई प्रगति की समीक्षा अगस्त माह में करेंगे।

खेल अधो-संरचना विकास के लिए राशि स्वीकृत

नागौद में इनडोर हॉल के लिये भी 1.69 करोड़ रुपये की स्वीकृति

राज्य सरकार ने खेल एवं खिलाड़ियों के लिए करोड़ों की राशि की सौगात दी है। विभिन्न जिलों के स्थानों पर निर्माण कार्य और उपकरणों के लिए स्वीकृति दी गई है। इसमें इनडोर हॉल निर्माण के लिए नागौद (सतना), नरसिंहपुर, टिमरनी (हरदा), गंजबासौदा (विदिशा), हरदा, रायसेन, नारायणगढ़ (मंदसौर), आगर मालवा, बीना (सागर), बुधनी (सीहोर) के लिए 1 करोड़ 69 लाख रुपये प्रति स्थान की स्वीकृति प्रदान की है। इसके अतिरिक्त इन सभी स्थानों पर उपकरणों के लिए 26 लाख रूपए (प्रति स्थान) स्वीकृत किए गए हैं।

कमिश्नर ने शिशुओं के पोषण स्तर में सुधार के दिए निर्देश

कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुचारी ने संभाग के सभी कलेक्टर्स को शिशुओं के पोषण स्तर में सुधार के निर्देश दिए हैं। कमिश्नर ने कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित तथा अति कुपोषित बच्चों की सूची तैयार की गई है। इन सभी बच्चों को मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत उपचार एवं अतिरिक्त पोषण आहार की सुविधा देकर इनके पोषण स्तर में सुधार कराएं। शिशुओं के जीवनकाल के प्रथम एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में शिशुओं में सबसे तेजी से शारीरिक विकास होता है। इस अवधि में यदि पोषण का स्तर ठीक नहीं हुआ तथा बच्चों के खान-पान की उचित देखभाल नहीं की गई तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है।
कमिश्नर ने कहा कि बच्चों के पोषण स्तर में सुधार तथा कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को कई तरह का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस योजना का लाभ लेकर मध्यम कुपोषित तथा अति कुपोषित बच्चों के पोषण प्रबंधन का विशेष प्रयास करें। पूरे संभाग में लगभग 15 हजार बच्चों का पोषण स्तर कम है। इन बच्चों को अतिरिक्त भोजन तथा पोषण किट के रूप में मोटे अनाज, दाल, गुड़, चना, मोमफली, तिल आदि दिया जा सकता है। बच्चों की स्वच्छता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
कमिश्नर ने कहा कि जिन शिशुओं का पोषण स्तर कम है उनकी माताओं को महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पोषण प्रबंधन की काउंसलिंग करें। कम पोषित बच्चों का नियमित रूप से वजन लेकर उनके स्वास्थ्य में सुधार की नियमित निगरानी करें। बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि के लिए जन सहयोग भी लिया जा सकता है।

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