- ग्वालियर, मुरैना, रीवा, जबलपुर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को दी करारी मात
MP Election Result 2022: digi desk/BHN/भोपाल/ भाजपा के परंपरागत गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल, विंध्य और महाकोशल में पार्टी को स्थानीय निकाय के चुनाव में झटका लगा है। ग्वालियर, मुरैना, रीवा और जबलपुर नगर निगम में कांग्रेस के महापौर चुने गए हैं। विंध्य क्षेत्र में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। निकाय चुनाव से पार्टी को संजीवनी मिली है।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 15 साल बाद सत्ता में वापसी में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र ने बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के साथ थे। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का साथ छोड़ा तो प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। इसके
बाद से कांग्रेस ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपने स्थिति बरकरार रखने में जुटी थी। डा.गोविन्द सिंह को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर संदेश दिया।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सर्वाधिक नुकसान विंध्य क्षेत्र में
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में रणनीति बनाकर काम किया। इसका असर यह हुआ कि ग्वालियर और मुरैना में कांग्रेस अपना महापौर बनाने में सफल रही। भिंड के निकायों में स्थिति संतोषजनक रही है। इसी तरह जबलपुर और छिंदवाड़ा में कांग्रेस के महापौर बने। जिला पंचायत जबलपुर, बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा में कांग्रेस की स्थिति बेहतर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सर्वाधिक नुकसान विंध्य क्षेत्र में हुआ था।
इसकी भरपाई नगरीय निकाय चुनाव ने कर दी। रीवा में पार्टी प्रत्याशी महापौर बना तो सिंगरौली में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को मतदाताओं ने पसंद किया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार विंध्य क्षेत्र की लगातार उपेक्षा कर रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़ा और रीवा, सीधी और चुरहट में जनता का समर्थन पार्टी को मिला।
उधर, भाजपा ने ग्वालियर, चंबल, विंध्य और महाकोशल में काफी मेहनत की थी। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित मंत्रियों, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाला। इसके बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।
पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि नगर निगम को छोड़ दिया जाए तो नगर पालिका, नगर परिषद, जिला और जनपद पंचायत चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। अधिकांश स्थानों पर पार्टी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। जिन स्थानों पर हार हुई है, उनकी समीक्षा की जाएगी।