पोपटलाल निराश होकर वहां से निकल जाते है लेकिन वह अभी भी हिम्मत नहीं हारे है और उनका नई नौकरी पाने का संघर्ष जारी है। पोपटलाल अपने घर के बालकनी में इस बारे में सोच ही रहे होते है कि उनकी नजर कंपाउंड में सब्जी खरीदने आई महिला मंडल पर पड़ती है।

उनके ध्यान में आता है कि सब्जी बेचने आई महिला को सब्जियों के नाम और कीमतों के अलावा कोई और विशेष जानकारी की गरज नहीं होती। इसके अलावा शायद ही कोई पुरुष सब्जियां लेने बाहर निकलता है। पोपटलाल को अचानक से ख्याल आता है कि इससे उन्हें महिलाओं से मिलने का सुनहरा अवसर भी मिल सकता है और जिससे उनका एक जीवनसाथी पाने का सपना भी सच हो सकता है|