सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राकेश सिंह ने बताया है कि यदि जिले में राज्य शासन के कर्मचारियों से मतदान दलों की पूर्ति नहीं हो पा रही हो तो अपवाद स्वरूप केन्द्र शासन, बैंक, भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को मतदान दलों में सम्मिलित किया जा सकता है। शासकीय कर्मचारियों की कमी होने की स्थिति में मतदान दलों में 3 वर्ष से अधिक सेवा पूरी करने वाले संविदा कर्मियों को भी सम्मिलित किया जा सकेगा।
संविदाकर्मी को पीठासीन अधिकारी एवं मतदान अधिकारी क्रं 1 पद पर नियुक्त न करें, क्योंकि पीठासीन अधिकारी की अनुपस्थिति में मतदान अधिकारी क्रं. 1 ही पीठासीन अधिकारियों के दायित्वों की पूर्ति करता है। संविदा कर्मियों को मतदान अधिकारी क्रमांक 2 तथा 3 एवं 4 के पद पर मतदान दल में सम्मिलित किया जा सकता है। यदि पुरुष कर्मचारियों की कमी की वजह से महिला कर्मचारी की नियुक्ति करना आवश्यक हो तो कम से कम 2 महिला कर्मचारियों को मतदान दल में रखा जाए। महिला मतदान अधिकारी की ड्यूटी उसी विकासखण्ड में लगायी जाये, जिसमें वह कार्यरत है। ऐसी महिला मतदान अधिकारी को मतदान की पूर्व संध्या से ही मतदान केन्द्र में उपस्थित रहने की अनिवार्यता से छूट देते हुए मतदान प्रारंभ होने के 1 घंटा पूर्व मतदान केन्द्र पर उपस्थित होने की अनुमति दी जाये। अत्यावश्यक सेवाओं जैसे लोक-स्वास्थ्य, जल-प्रदाय, परिवहन, दुग्ध-प्रदाय, वाणिज्यिक कर, आबकारी पंजीयन एवं मुद्रांक तथा विद्युत प्रदाय में संलग्न फील्ड स्तर के अधिकारियों या कर्मचारियों को मतदान दलों में सम्मिलित नहीं किया जाये। इन विभागों के उन कर्मचारियों की निर्वाचन में ड्यूटी लगायी जा सकती है, जो कार्यालय में कार्य करते हैं। न्यायिक सेवा के सभी अधिकारियों या कर्मचारियों को निर्वाचन ड्यूटी से मुक्त रखा गया है। अतः उनकी ड्यूटी निर्वाचन में नहीं लगायी जाये। किसी विकासखंड में पदस्थ किसी अधिकारी या कर्मचारी को उसी विकासखंड के किसी मतदान केन्द्र पर पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के तौर पर नियुक्त न किया जाये। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जो किसी विकासखंड का मूल निवासी हो उसे, उस विकासखंड में आने वाले किसी मतदान केन्द्र में पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त न किया जाये।
श्री सिंह ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवानिवृत्ति में 6 माह या उससे कम समयावधि शेष हो, उन्हें मतदान दल में शामिल नहीं किया जाये। ऐसे कर्मचारियों से निर्वाचन सम्बंधी अन्य कार्य कराये जा सकते हैं। दिव्यांग या निःशक्त कर्मचारियों को मतदान दल में शामिल न किया जाये। ऐसे कर्मचारियों से निर्वाचन संबंधी अन्य कार्य कराया जा सकता है। निर्वाचन के पश्चात प्रत्येक मतदान केन्द्र पर ही पंच या सरपंच पद के मतों की गणना का कार्य “आपवादिक मामलों को छोड़ कर’’ किया जायेगा। यह कार्य पीठासीन अधिकारी के पर्यवेक्षण तथा निर्देशन में मतदान अधिकारियों द्वारा किया जायेगा। पीठासीन अधिकारी का चयन वरिष्ठता और अनुभव को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए, ताकि वह मतदान तथा मतगणना के समय महत्वपूर्ण और संवेदनशील कार्य को निर्भीकता, विश्वास और दक्षता के साथ सम्पन्न कर सके। यदि जिलों में मतदान दल की कमी हो तो जिले के कलेक्टर अपने संभागीय आयुक्त से समीप के जिलों से मतदान दल उपलब्ध कराने के लिए निवेदन कर आयोग को सूचित कर सकते हैं।
प्रत्येक कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और डी.एम.एम. की पहचान के लिए होता है एक यूनिक आईडी नंबर
मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा एक से अधिक पदों का निर्वाचन एक साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से कराने के लिए मल्टीपोस्ट ईव्हीएम का उपयोग किया जाता है। कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और डिटचेबल मेमोरी मॉड्यूल (डी.एम.एम.) आयोग की ईव्हीएम के मुख्य अंग हैं। प्रत्येक कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और डी.एम.एम. की पहचान के लिए एक यूनिक आईडी नंबर होता है। कंट्रोल यूनिट को ऑन करने पर उसमें लगी हुई डी.एम.एम का यूनिक आईडी नंबर डिस्प्ले होता है।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राकेश सिंह ने जानकारी दी है कि आयोग द्वारा स्थानीय निकायों के निर्वाचन के लिए उपयोग की जाने वाली ईव्हीएम (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट एवं डी. एम.एम.) इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (ई.सी.आई.एल.) द्वारा निर्मित हैं। यह भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग का सार्वजनिक उपक्रम है।
निर्वाचन के लिए ईव्हीएम को तैयार करने के लिए ईव्हीएम की कमीशनिंग की जाती है। इसमें निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों अथवा उनके अभिकर्ताओं की उपस्थिति में कंट्रोल यूनिट के निर्धारित अभ्यर्थी खण्ड में डी.एम.एम. लगाई जाकर विहित रीति से सील किया जाता है। कमीशनिंग में कंट्रोल यूनिट में लगाई गई डी.एम.एम के यूनिक आईडी नंबर को वहॉं उपस्थित अभ्यर्थी या उनके अभिकर्ता द्वारा देखा जा सकता है और यूनिक आईडी नंबर को नोट भी किया जा सकता है। इसका मिलान मतदान पूर्व मॉकपोल, मतदान, मतगणना और डी.एम.एम. की सीलिंग में किया जा सकता है।
मतदान के समय मतदान का जो डाटा कंट्रोल यूनिट में स्टोर होता है, वही डाटा उसमें लगी डी.एम.एम. में भी समानांतर रूप से रिकॉर्ड होता है। मतगणना के बाद कंट्रोल यूनिट से डी.एम.एम. को निकाल कर सुरक्षित रूप से सीलबंद किया जाकर कोषालय में रखा जाता है। इस प्रकार कंट्रोल यूनिट अगले चरण के निर्वाचन के लिए मुक्त हो जाती है। सीलबंद डी.एम.एम. को 6 माह तक रखा जाता है। इसके बाद विधिक प्रकरण लंबित नहीं होने पर विनिष्टिकरण की कार्यवाही की जाती है। सम्पूर्ण पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता के दृष्टिगत आयोग द्वारा मतदान के लिए एक बार उपयोग की गई डी.एम.एम. को दोबारा उपयोग में नहीं लाया जाता है।
निर्वाचन के लिए ईव्हीएम की तैयारी के संबंध में आयोग द्वारा प्रकाशित मार्गदर्शिकाओं को सार्वजनिक रूप से आयोग की वेबसाईट www.mplocalelection.gov.in पर उपलब्ध कराया गया है।