Has covid affected your sleep here is how viruses can change our sleeping patterns: digi desk/BHN/न्यूकैसल/ महामारी कोविड-19 के शुरुआती चरण कोरोना लाकडाउन के दौरान लोगों को घर के भीतर रहने की हिदायत दी गई थी। इसी समय अधिकांश लोगों ने सही तरीके से नींद न आने को लेकर शिकायतें की थीं। जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं हमें फिर से लोगों की ओर से नींद संबंधित शिकायतें मिलनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोग अनिद्रा के लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं जहां वे जागते रहने को मजबूर हैं। इसे ‘कोरोनासोम्निया या कोविड इनसोम्निया’ का नाम दिया गया। अन्य संक्रमितों ने रिपोर्ट दी कि नींद न पूरी होने कारण उन्हें थकान महसूस होती है। तो जानते हैं कि कोरोना संक्रमण से हमारी नींद क्यों प्रभावित होती है और कोरोना का प्रभाव हर इंसान में अलग-अलग क्यों होता है।
नींद और इम्यूनिटी
जब हमारे शरीर में वायरस का इंफेक्शन होता है तो इससे इम्यून बनता है। इस रेस्पांस के तौर पर सेल (cells) से साइटोकाइन्स जैसे प्रोटीन बनते हैं जो कोरोना संक्रमण से लड़ता है। इसमें से कुछ साइटोकाइन्स नींद को प्रमोट करने के भी जिम्मेवार होते हैं और इन्हें स्लीप रेगुलेटरी सबस्टांस के तौर पर जाना जाता है। इस तरह से हमारे शरीर में जब अधिक साइटोकाइन्स हो जाते हैं तब नींद हावी होने लगती है।
शरीर का इम्यून है जिम्मेवार
एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को सोने यानि नींद में अधिक परेशानी होती है। कोविड व अन्य वायरल संक्रमण में हमारे नींद के पैटर्न में बदलाव होता है जो हमारे शरीर के इम्यून रेस्पांस के कारण होता है। यह संभव है कि नींद में आने वाली बाधाओं जैसे बार बार नींद का खुलना, लगातार नींद न आना बुरी आदतों जैसे फोन या किसी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के इस्तेमाल की वजह से होता है। इसके अलावा जो लोग दिन में सोते हैं उन्हें भी रात को जल्दी नींद नहीं आती।
वैसे अगर कोरोना से स्वस्थ होकर लौटने के बाद नींद नहीं आ रही है तो अधिक निराश होने की जरूरत नहीं है। वायरल इंफेक्शन से ठीक होने के बाद अपने सामान्य रुटीन में लौटे। सबसे पहले दिन में सोना छोड़ दें। सोने के समय घड़ी पर टकटकी लगाकर न रहें। इसके अलावा रात को रोशनी से दूर रहने की कोशिश होनी चाहिए।