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Trade: गेहूं के बाद चाय के निर्यात को झटका, अधिक कीटनाशक होने का दावा कर कई देशों ने लौटाई खेप!

Issue with Tea Export: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भारत के निर्यात क्षेत्र में बढ़ते कारोबार के लिए एक बुरी खबर है। गेहूं के बाद भारतीय चाय को भी गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया गया है। इंडियन टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (ITEA) के मुताबिक देश और विदेश के खरीदारों ने भारतीय चाय की कई खेपों को उच्च कीटनाशकों और रसायनों के कारण अस्वीकार कर दिया है। दरअसल, श्रीलंका के आर्थिक संकट के बाद वैश्विक स्तर पर चाय के निर्यात में शून्यता आ गई है। ऐसे में टी बोर्ड ऑफ इंडिया, चाय का एक्सपोर्ट बढ़ाकर इस मौके का फायदा उठाना चाहता है। लेकिन चाय की खेपों की अस्वीकृति और वापसी के कारण विदेशी शिपमेंट की संख्या घट रही है। आपको बता दें कि वर्ष 2021 में भारत ने 195.9 मिलियन टन चाय का निर्यात किया था। स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) और ईरान भारत से अधिकतम चाय खरीदते हैं।

क्यों लौटाई गई चाय?

चाय की खरीद को लेकर कई देश सख्त मानकों का पालन कर रहे हैं। अधिकांश देश यूरोपीय संघ के मानकों के समान नियमों का पालन करते हैं, जो हमारे FSSAI नियमों के अनुरूप हैं। देश में बेची जाने वाली सभी चाय FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए। लेकिन चाय बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर चाय पैकर्स और निर्यातकों की ओर से शिकायतें मिली हैं। इनके मुताबिक देश में ज्यादातर चाय जो आप खरीद रहे हैं, उसमें असामान्य रूप से उच्च रासायनिक सामग्री है। बोर्ड का मानना है कि चाय उत्पादकों को मौजूदा एफएसएसएआई मानदंडों का सख्ती से पालन करना चाहिए।

गेहूं के निर्यात में भी कमी

आपको बता दें कि एक दिन पहले ही तुर्की ने भारतीय गेहूं को यह कहकर लौटा दिया था कि वो रूबेला वायरस से प्रभावित है। तुर्की के कृषि और वानिकी मंत्रालय ने पादप स्वच्छता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए भारत से एक्सपोर्ट हुए गेहूं की खेप को खारिज कर दिया। अब 56,877 टन ड्यूरम गेहूं से लदा जहाज ‘एमवी इंस अकडेनिज़’ वापस गुजरात के कांडला बंदरगाह की ओर लौट रहा है।इससे पहले 13 मई को, भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। गेहूं के निर्यात से जुड़े व्यापारियों को इससे भारी नुकसान हुआ। करीब 18 लाख टन अनाज, निर्यात के मकसद से अब भी बंदरगाहों पर पड़ा है। ऐसे में तुर्की के फैसले ने निर्यात में और बाधाएं खड़ी कर दी हैं।

 

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