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Chhatarpur: स्कूलों में खर्च किए बिना फर्जी बिल बाउचर से 50 लाख निकाले!

छतरपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/ बकस्वाहा ब्लाक में बीआरसीसी द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों से सांठगांठ कर स्कूलों के लिए मिले 50 लाख रुपये खर्च किए बिना फर्जी बिल बाउचर लगाकर राशि गबन करने का बड़ा घोटाला सामने आया है। यह मामला उजागर होने पर अब जांच के डर से जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों को साधने में जुट गए हैं। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी पर भी आरोपों के छींटे आ रहे हैं।

बकस्वाहा अंचल में शिक्षा विभाग में खेल सामग्री घोटाला की चर्चा अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि अब प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूलों के लिए मिले करीब 50 लाख रुपये गलत तरीके से निकालने को लेकर प्रधानाध्यापकों व बीआरसीसी आरोपों के घेरे में आ गए हैं। जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा केन्द्र प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को छात्र संख्या के हिसाब से हर साल व्यवस्थाओं के लिए पांच हजार से एक लाख रुपये तक मिलते हैं। पहले यह राशि एसएमसी के खाते में जाती थी, लेकिन अब सीधे बीआरसीसी के खाते में भेजी जाने लगी है। इसका फायदा उठाकर बीआरसीसी ने इस राशि का बंदरबांट कर डाला। दरअसल वित्तीय वर्ष 2021-22 मार्च में खत्म होने से यह राशि लैप्स न हो जाए इस कारण बीआरसीसी ने प्रधानाध्यापकों से स्कूलों में विभिन्ना काम कराने के फर्जी बिल-बाउचर लेकर यह पूरी राशि निकाल ली। सही मायने में देखा जाए तो इस फर्जीवाड़े में सिर्फ बीआरसीसी और हेडमास्टर ही दोषी नहीं हैं, बल्कि कई अन्य अधिकारी भी हिस्सेदार हैं। सुनियोजित तरीके से मार्च महीने में अंतिम समय पर प्रधानाध्यापकों पर बिल लगाने का दबाव बनाया गया, न करने पर कार्रवाई का डर भी दिखाया गया। इस डर से प्रधानाध्यापकों ने फर्जी बिल-बाउचर बीआरसीसी को उपलब्ध करा दिए। कईयों ने तो सिर्फ हस्ताक्षर करके स्वीकृति दी, शेष कार्य वरिष्ठ अधिकारियों ने कर डाला।

काम कराया न सामान खरीदा
50 लाख रुपये का फंड देखकर जिम्मेदारों का ईमान डगमगा गया और बिना काम कराए, सामान खरीदे बिना ही इस पूरी राशि का गबन कर दिया गया। बताया गया है कि यह राशि विकासखंड के 130 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में चाक-डस्टर खरीदने, स्कूलों की पुताई व साफ-सफाई कराने जैसी व्यवस्था के लिए दी गई थी। एसएमसी एकाउंट बंद होने से प्रधानाध्यापकों को इस बात की भनक तक नहीं हुई कि यह राशि बीआरसीसी के खाते में आ चुकी है। बस बीआरसीसी ने कहा तो प्रधानाध्यपकों ने कमीशन लेकर बिल बाउचर लगाए और पूरी राशि आहरित कर ली गई। बाद में जब प्रधानाध्यापकों को पता चला तो अपना हिस्सा न मिलने से वे तिलमिला गए और सच्चाई बाहर आ गई। बताया गया है कि राशि निकालने के लिए जिन फर्मों के बिल बाउचर लगाए गए हैं, उनमें से ज्यादातर के पास न जीएसटी नंबर है, न वे वैधानिक रूप से फर्म ही हैं। कई दुकानों के केवल नाम लिखकर ही उनके नाम से राशि आहरित की गई है। जबकि स्कूलों को एक रुपये की सामग्री नहीं मिली, लेकिन लाखों रुपये के बिल पास कराके बड़ा घोटाला किया गया है।

इनका कहना है

फर्जी बिल लगाकर राशि निकालने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

राहुल सिलाड़िया, एसडीएम, बिजावर

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