Monkeypox Alert: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कोरोना महामारी के बाद मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। बीते 15 दिन में करीब 15 देशों में मंकीपॉक्स बीमारी के 219 मामले सामने आ चुके हैं और बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत में भी केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है। फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, अफ्रीका में मंकीपॉक्स तेजी से फैल रहा है। यूरोपियन यूनियन डिजीज एजेंसी के ताजा अपडेट के मुताबिक दुनियाभर में इस समय मंकीपॉक्स के 219 मामले हैं। भारत में मंकीपॉक्स को अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पूरी तरह से सतर्कता बरत रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने सभी राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि अस्पतालों को इस रोग के लक्षण वाले उन मरीजों पर नजर रखने का निर्देश दें जो हाल में मंकीपॉक्स से संक्रमित देशों की यात्रा कर चुके हैं। ऐस मरीज मिलने पर उन्हें तत्काल आइसोलेट करें।
इन देशों में मिल चुके हैं मंकीपॉक्स के केस
अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इजरायल, कनाडा, नीदरलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड
मंकीपॉक्स का खतरा बच्चों में ज्यादा
लिवरपूल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के रिसर्चर डॉ ह्यू एडलर के मुताबिक मंकीपॉक्स के मामले में ज्यादा खतरा बच्चों को ही रहता है, लेकिन इस मामले में लक्षण बहुत हल्के होते हैं और अधिकांश मरीज जल्द ठीक भी हो रहे हैं।
तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स वायरस बहुत छोटे जीवाणु होते है और संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से तेजी से फैलते हैं। इन्हें रोकना बहुत मुश्किल है। मंकीपॉक्स की संक्रमण दर 3.3 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक मानी गई है, लेकिन अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स की संक्रमण दर 73 प्रतिशत थी। वायरस टूटी हुई त्वचा, श्वास नली या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित व्यक्ति या उनके कपड़ों या चादरों के संपर्क में आने से फैलतै है।
लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण प्रकट होने में 5 से 21 दिन का समय लगता है। मरीज को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकान होती है। एक से पांच दिन बाद आम तौर पर चेहरे पर दाने दिखाई देते हैं। दाने कभी-कभी चिकन पॉक्स के समान दिखाई देते हैं। ज्यादातर मरीज कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाते हैं।