problem: indore/ पिछले कुछ महीनों से खाद्य तेल काफी महंगे हो गए हैं। नवंबर में अब तक रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत 11 प्रतिशत से ज्यादा और सरसों जैसे कुछ अन्य तेल के भाव 25 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सोयाबीन का घरेलू उत्पादन घटने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल के दाम बेतहाशा बढ़ने के कारण ऐसे हालात पैदा हुए। गुरुवार को इंदौर में सोयाबीन रिफाइंड की कीमत 1,090 रुपये प्रति 10 किलो रही, जो दो नवंबर को 980 रुपये थी। एक नवंबर को रविवार के चलते बाजार बंद थे। इस हिसाब से इस माह अब तक सोया रिफाइंड 11.22 प्रतिशत महंगा हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर अभी थोक में सरसों तेल 135 से 137 रुपए प्रति लीटर और रिफाइंड सोया तेल 108 से 112 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। खुदरा में सरसों तेल 142 से 150 रुपए और रिफाइंड सोया तेल 115 से 120 रुपए प्रति लीटर हो गया है।
कच्चा पाम तेल में 60 प्रतिशत तक उछाल
खाद्य तेल के अंतरराष्ट्रीय उत्पादन में भारी कमी के बीच चीन की तरफ इसकी जोरदार खरीदारी के कारण पिछले कुछ महीनों से कच्चे पाम तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद अब तक वायदा बाजार में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) की कीमत 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है। हाजार बाजार यह वृद्घि 50 प्रतिशत से अधिक रही है।
तेजी के अंतरराष्ट्रीय कारण
‘सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया’ के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक खाद्य तेल की कीमतें बढ़ने के घरेलू कारण कम और अंतरराष्ट्रीय वजहें ज्यादा हैं। उन्होंने में खाद्य तेल महंगे होने के पांच कारण गिनाएः-
- 1.रूस व यूक्रेन में सनफ्लावर का अनुमान से कम उत्पादन
- 2. ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन घटना
- 3. ब्राजील सरकार का बायोडीजल उत्पादन बढ़ाने पर जोर
- 4. प्रमुख पाम तेल उत्पादक मलेशिया में श्रमिकों की कमी
- 5. अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार में चीन की भारी खरीदारी
तेजी की घरेलू वजहें
- – इस वर्ष सोयाबीन का उत्पादन घटकर करीब दो क्विंटल प्रति बीघा रह गया
- आम तौर पर एक बीघा में 4.5-6 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है
- – मध्य प्रदेश में सोयाबीन का भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर पहुंचना
- – कुछ हफ्तों में सोयाबीन 5,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जाने की संभावना
- – डीओसी का एक्स-फैक्ट्री भाव 35,500 रुपये प्रति टन के स्तर तक पहुंचना
आयात में भारी गिरावट
एसईए के मुताबिक अक्टूबर में समाप्त तेल वर्ष 2019-20 के दौरान देश में वनस्पति तेल का आयात 13 प्रतिशत घटकर 135.25 लाख टन रह गया। पिछले महीने वनस्पति तेल (खाद्य और गैर-खाद्य तेलों) का आयात घटकर 12.66 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले 13.78 लाख टन वनस्पति तेल का आयात हुआ था। संगठन के मुताबिक 2019-20 में वनस्पति तेल का कुल आयात पिछले छह वर्षों में सबसे कम रहा। इस दौरान खाद्य तेल का आयात घटकर 131.75 लाख टन रह गया, जो 2018-19 में 149.13 लाख टन था।
राहत कब तक
एसईए के ईडी बीवी मेहता के मुताबिक अगले 15 दिन में खाद्य तेल में गिरावट शुरू होना चाहिए। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ विश्लेषक विनोद टीपी ने कहा कि इस अगले कुछ हफ्तों में ठंढ बढ़ेगी और इस वजह से खाद्य तेल की मांग कमजोर पड़ेगी। सरसों तेल इसका अपवाद हो सकता है, क्योंकि सर्दियों में इसकी मांग बढ़ जाती है।