Cheque Bounce Cases: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ चेक बाउंस मामले के निपटारे में तेजी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया। 1 सितंबर से पांच राज्यों में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ स्पेशल अदालतें गठित करने का निर्देश दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (एनआई) के तहत विशेष अदालतें महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में स्थापित की जाएंगी। इन राज्यों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं।
पीठ ने कहा, ”हमने पायलट अदालतों की स्थापना के संबंध में एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों को शामिल किया है। इसकी शुरुआत 1 सितंबर से होगी। इस कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल यह सुनिश्चित करेंगे कि वर्तमान आदेश की एक प्रति पांच उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को सीधे भेजी जाए, जो इसे तत्काल कार्रवाई के लिए चीफ जस्टिस के सामने रखें।”
चेक बाउंस के लंबित मामले अजीबोगरीब
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में चेक बाउंस मामलों की पेंडेंसी पर संज्ञान लिया था। ऐसे मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने 35 लाख से अधिक चेक बाउंस मामलों को विचित्र करार दिया था। वह केंद्र को ऐसे मामलों से निपटने के लिए विशेष अवधि के लिए अतिरिक्त अदालतें बनाने के लिए एक कानून लाने का सुझाव दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
शीर्ष अदालत ने स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया। ऐसे मामलों के जल्द निपटान के लिए कंसर्टएड और कोऑर्डिनेटेड तंत्र विकसित करने का निर्णय लिया। कोर्ट ने देशभर में चेक बाउंस के मामलों का तेजी से निपटारा सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। केंद्र से कहा था, ऐसे केस में मुकदमे की क्लबिंग सुनिश्चित करने के लिए कानूनों में संशोधन करें। अगर वे एक ही लेनदेन से संबंधित एक साल के अंदर किसी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किए जाते हैं।
चेक बाउंस पर क्या सजा है
चेक बाउंस होने के 15 दिन के नोटिस के बाद अगर भुगतान नहीं किया जाता है, तो सजा का प्रावधान है। अधिकतम दो साल की सजा या रकम से दोगुना दंड लगाया जा सकता है।