Varanasi Gyanvapi Case: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद केस में सुनवाई टल गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक के लिए सुनवाई टाल दी। साथ ही निचली अदालत यानी वाराणसी की अदालत को निर्देश दिया कि वो भी मामले में कोई सुनवाई न करे। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देस उस समय आया जब काशी की स्थानीय अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी गई। कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने जज रवि दिवाकर को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट 14 से 16 मई के बीच की गई वीडियोग्राफी की है। कुल मिलाकर अब दोनों ही अदालतों में शुक्रवार को सुनवाई होगी। वैसे सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों ने जल्द सुनवाई की अपील की है।
हिंदू पक्ष की ओर से याचिका दायर की गई है कि उन्हें शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मिले। नमाज का स्थान बदला जाए। जहां वजू की जाती है, वह स्थान हिंदुओं को दिया जाए। वहीं नंदी के सामने की दीवार हटाई जाए। मछलियां हटाई जाए। वहीं पिछली सुनवाई में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जिस क्षेत्र में शिवलिंग पाया गया था, उसे सुरक्षित कर लिया जाए। वहीं मुस्लिम समुदाय को भी नमाज की अनुमति दी जाए। इस बीच, वाराणसी की अदालत ने अपने द्वारा नियुक्त सर्वेक्षण दल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो और दिन का समय दिया है।
Gyanvapi: RSS की प्रतिक्रिया
ज्ञानवापी केस में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने प्रतिक्रिया दी है। RSS के सुनिल आम्बेडकर ने कहा है कि सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती है। जो भी तथ्य हैं, वो सामने आना चाहिए।
ज्ञानवापी परिसर में कई जगह हैं धार्मिक आकृतियां
इस बीच, सूचना है कि ज्ञानवापी परिसर में कई जगह देवी-देवताओं की आकृतियां मिली हैं। ऐसे शिलापट्ट हैं, जिन पर कमल की आकृति साफ देखी जा सकती है। एक शिलापट्ट पर शेषनाग का स्पष्ट चिह्न भी है। पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की रिपोर्ट में इनका उल्लेख है। न्यायालय के आदेश पर छह और सात मई को हुए सर्वे की रिपोर्ट उन्होंने बुधवार को सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत को सौंपी।
सूत्रों के मुताबिक पूर्व एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वे के दौरान बैरिकेडिग के बाहर मस्जिद परिसर की उत्तर से पश्चिम की दीवार के कोने पर अवशेष मिला है। दीवार पर देवी-देवताओं की आकृतियां हैं। यहीं पर छड़, गिट्टी, सीमेंट से चबूतरे पर नया निर्माण किया गया है। उत्तर से पश्चिम की तरफ चलते हुए मध्य शिलापट्ट पर शेषनाग बने दिखते हैं। शिलापट्ट पर सिदूरी रंग की उभरी हुई आकृतियां भी स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। शिलापट्ट पर सिंदूरी रंग की चार मूर्तियां बनी हैं। चौथी मूर्ति पर सिदूर का मोटा लेप है। इसके आगे के हिस्से में त्रिकोणीय ताखा बना हुआ है, जिसका इस्तेमाल शायद दीया जलाने में किया जाता होगा। अंदर की तरफ मिट्टी व एक अलग शिलापट्ट भी है। इस पर भी देवताओं की आकृति स्पष्ट रूप से उकेरी हुई दिख रही है। लंबे समय से भूमि पर पड़े शिलापट्ट प्रथमदृष्टया किसी बड़े भवन के खंडित अंश लगते हैं। शिलापट्ट पर उभरी कुछ कलाकृतियां मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार पर उभरी कलाकृतियों से मिलती जुलती हैं।