froud:patna/ पटना के कंकड़बाग के पूर्वी अशोक नगर स्थित बीजीबी अस्पताल में बुधवार को मरीज के परिजनों और उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप था कि अस्पताल के डॉक्टर पीके जैन ने ऑपरेशन के दौरान गलत तरीके से मरीज की दायीं किडनी निकाल दी.उनका कहना था कि वे बायीं किडनी में स्टोन का ऑपरेशन करवाने आये थे लेकिन डॉक्टर ने दायीं किडनी का ऑपरेशन कर दिया. जबकि ऑपरेशन से पूर्व जांच में दायीं किडनी में स्टोन नहीं दिखा था और वह बिल्कुल ठीक थी. गलत ऑपरेशन के कारण मरीज को अपनी एक किडनी गंवानी पड़ी.
वहीं दूसरी ओर जिस इलाज के लिए मरीज भर्ती हुआ था वह इलाज ही नहीं हो पाया. मरीज के परिजन और यहां पहुंचे करीब 200 लोग इस बात से बेहद आक्रोशित थे. उनका कहना था कि डॉक्टर इसका मुआवजा दे और मरीज के आगे के इलाज का सारा खर्च उठाये.
मंगलवार को हुआ था 20 वर्षीय युवक का ऑपरेशन
मामला यह था कि बेगूसराय से आया एक युवक जिसकी उम्र करीब 20 वर्ष थी वह इस अस्पताल में भर्ती हुआ था. मरीज की बायीं किडनी में स्टोन था. इसका ऑपरेशन डॉ पीके जैन ने मंगलवार को किया.परिजनों का कहना था कि डॉक्टर ने बायें किडनी के बजाए दायें किडनी का ऑपरेशन कर दिया और केस बिगड़ जाने पर किडनी निकाल दी. यह ऑपरेशन में हुई भारी लापरवाही थी. घंटों अस्पताल के बाहर हल्ला-हंगामा चलता रहा.बाद में परिजनों की सभी मांगों को डॉक्टर ने मान लिया और मरीज को आगे के इलाज के लिए बेली रोड स्थित एक बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. जहां मरीज की बायीं किडनी के स्टोन का ऑपरेशन होना है.
वहीं कंकड़बाग थानेदार अजय कुमार ने बताया कि अस्पताल के बाहर हंगामे की सूचना मिलने पर पुलिस बल गया था. हंगामा अब शांत हो गया है. इस मामले में मरीज के परिजनों की तरफ से या अस्पताल की तरफ से कोई शिकायत या लिखित आवेदन नहीं दिया गया है.
भाकपा माले ने की हॉस्पिटल सील करने की मांग
भाकपा माले ने क्लिनिक के डॉक्टर दंपती को गिरफ्तार करने व हॉस्पिटल को सील करने की मांग की है. पार्टी के नेता माले नेता रणविजय कुमार, पन्नलाल सिंह, श्याम प्रसाद साव, अरविंद प्रसाद चंद्रवंशी ने घटना स्थल पर पहुंच कर मामले की जांच की.
मरीज की जान बचाने निकाली किडनी : डॉक्टर
इस मामले में बीजीबी अस्पताल के डॉ पीके जैन का कहना था कि ऑपरेशन से पूर्व हुई जांच में दायीं किडनी में बीमारी का पता नहीं चल पाया था, लेकिन उसमें भी समस्या थी. ऑपरेशन के दौरान जब समस्या दिखी तो परिजनों से लिखित में सहमति लेकर हमने मरीज की दायीं किडनी निकाल दी. इसके बाद किडनी को परिजनों को सौंप दिया था. विवाद होने पर मैंने परिजनों को दस लाख रुपये का मुआवजा भी दे दिया है और खुद दूसरे बड़े अस्पताल में लाकर मरीज को अपने खर्च पर भर्ती करवाया है.