Akshaya Tritiya 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ जिस मुहूर्त में पंडित-ज्योतिषियों से पूछे बिना विवाह या अन्य संस्कार किए जा सकते हैं, उसे बैसाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त माना जाता है। यदि किसी अन्य मुहूर्त में परिवार में कोई बाधा आ रही हो तो ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त मांगे शुभ कार्य करना चाहिए। ग्रह अनुकूल हो या न हो, अक्षय तृतीया के दिन सभी ग्रहों के दोष समाप्त हो जाते हैं, इसीलिए इसे महामुहूर्त का नाम दिया गया है। भारतीय सनातन संस्कृति में अक्षय तृतीया को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन रामायण-महाभारत की कई घटनाएं हुई थीं, साथ ही भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसलिए इसे अबुजा मुहूर्त कहा जाता है।
सोशल मीडिया पर छाया भी छाया अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया का महत्व इस बार सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और फेसबुक पर चर्चा का केंद्र बन गया है, लोग अपने परिचितों को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त के बारे में संदेश भेज रहे हैं। घटनाएँ घटीं और इसी कारण इसे महामुहूर्त कहा जाता है।
- आज ही के दिन हुआ था भगवान परशुराम का जन्म
- मां अन्नपूर्णा के जन्म की मान्यता
- मां गंगा का अवतार
- इस दिन ही कृष्ण ने द्रौपदी को चीरहरण से बचाया था।
- इस दिन कुबेर को खजाना मिला था।
- सतयुग और त्रेतायुग का भाग्य इसी दिन हुआ था।
- कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था।
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतार।
- इस दिन प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण के कपाट खोले जाते हैं।
- वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण देखे जाते हैं, नहीं तो पैर साल भर कपड़ों से ढके रहते हैं।
- महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था।
- अक्षय तृतीया अपने आप में एक स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है।