शिवराज सर्वशक्तिमान लेकिन कैबिनेट विस्तार की चुनौतियों से निपटना आसान नहीं
Shivraj Cabinet: bhopal/satna/rewa/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई सराहना के बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सर्वशक्तिमान नेता बनकर उभरे हैं। इसके बावजूद आने वाले समय में कैबिनेट विस्तार जैसी चुनौतियों से निपटना उनके लिए आसान नहीं है। कैबिनेट विस्तार में शिवराज को जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सामंजस्य बैठाना है, वहीं भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्रियों को भी एडजस्ट करना है।
चौहान ने 28 विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से पहले निर्दलीय और सपा बसपा के विधायकों से भी तमाम तरह के वादे किए हुए हैं। ऐसे हालात में मंत्रिमंडल में किसे शामिल किया जाए,किसे नहीं ,इसको लेकर बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियां हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक कर दिया कि वह फिलहाल मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर रहे हैं , लेकिन गाहे-बगाहे आने वाले समय में उनको कैबिनेट का विस्तार करना ही पड़ेगा। इसकी वजह साफ है कि जहां सिंधिया के दो पूर्व कट्टर समर्थकों को उन्हें शपथ दिलाना है। यह दोनों वहीं पूर्व मंत्री हैं जिन्हें शिवराज के 5 सदस्य पहली कैबिनेट में शपथ दिलाई गई थी। वही बाकी जिन पूर्व मंत्रियों ने उपचुनाव में ताकत झोंक कर भाजपा को सफलता दिलाई है, वह भी शपथ लेने को आतुर है।
उनकी भी नाराजगी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दूर करना है। संवैधानिक नियमों के मुताबिक शिवराज कैबिनेट 35 सदस्यों की हो सकती है। जिसमें फिलहाल 3 पद रिक्त हैं और सिंधिया समर्थक तीन मंत्रियों के हार जाने के कारण उनके 3 पद भी रिक्त होना है। हाल ही में 28 सीटों पर भाजपा को मिली शानदार सफलता के बाद मंत्रीपद के दावेदार विधायक सक्रिय हो गये हैं, जिन्होंने मंत्री पद पाने के लिए भाग-दौड़ शुरू कर दी है। कुछ विधायक तो पार्टी के बड़े नेताओं से मिलना-जुलना शुरु कर दिया है।
विन्ध्य से विधायक गिरीश गौतम ने पिछ्ले दिनों कहा, उनके क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उम्मीद है कि उनकी क्षेत्र की जनता की मांग को अनसुना नहीं किया जाएगा। विंध्य क्षेत्र से विधायक जुगल किशोर बागरी ने भी पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात की। बागरी पहले भी शिवराज कैबिनेट में राज्य मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उन्हें शिक्षाकर्मी भर्ती कांड के एक मामले में लोकायुक्त द्वारा चालान पेश होने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। जून में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी बागरी का नाम चर्चा में आया था । बागरी का वोट निरस्त हो गया था, जिसके बाद माना गया था कि बागरी ने एक गलती जानबूझकर की है। बागरी लंबे समय से मंत्री ना बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं । वहीं, बुंदेलखंड से हरिशंकर खटीक भी एक बार फिर दावेदारी जता रहे हैं। वे पिछले मंत्रिमंडल में भी मंत्री पद के लिए दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाकर इसकी भरपाई की थी। हालांकि इस बार फिर वे मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए प्रयासरत हैं। इनके अलावा और भी विधायक ऊपरी स्तर पर संपर्क कर मंत्री बनने की जद्दोजहद में जुटे हैं।
छह पद रिक्त
मंत्रिमंडल में छह पद रिक्त हैं। जब भी कैबिनेट का विस्तार होगा, दो पद तो गोविंदसिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को स्वाभाविक रूप से वापस मिल जाएंगे, क्योंकि छह माह में विधायक नहीं बन पाने की संवैधानिक बाध्यता के चलते इन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब बचे चार पदों के लिए कई दावेदार हैं। दावेदारों में संजय पाठक, राजेंद्र शुक्ल, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, अजय विश्नोई, केदार शुक्ला, सुरेंद्र पटवा, महेंद्र हार्डिया, गिरीश गौतम, कुंवरसिंह टेकाम, नंदिनी मरावी, रामेश्वर शर्मा, सीतासरन शर्मा, सुदर्शन गुप्ता, रमेश मेंदोला, अशोक रोहाणी ,शरदेंदु तिवारी आदि शामिल हैं।