On the fourth day of chaitra navratra worship of shringar gauri is recognized the place of goddess is in gyanvapi red zone: digi desk/BHN/वाराणसी/चैत नवरात्र या वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन श्रृंगार गौरी के पूजन की मान्यता है। पूजन की मान्यता होने के साथ ही देवी कुष्मांडा की पूजा की भी काशी में परंपरा है। मगर, गौरी के प्रतीकों का काशी में चैत्र नवरात्र में अधिक मान रहा है। इस लिहाज से काशी के अलग अलग स्थानों पर मौजूद मां गौरी के स्वरूपों की पूजना का विधान माना गया है। वासंतिक नवरात्र के मौके पर काशी में गौरी के चतुर्थ स्वरूप की पूजा करना काफी चुनौतीपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि देवी का मंदिर रेड जोन में ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे पड़ता है। इसकी वजह से भक्तों को कई प्रकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता रहा है।
वासंतिक नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर श्रृंगार गौरी के दर्शन और पूजन का विधान काशी में माना गया है। वहीं काशी में माता श्रृंगार गौरी का मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पृष्ठ भाग में स्थित है। मूलत: श्रृंगार गौरी वैभव और सौंदर्य की देवी मानी जाती हैं। वहीं ज्ञानवापी के रेड जोन में होने के कारण यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को कई प्रकार के प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है। इस बार देवी श्रृंगार गौरी के पूजन और दर्शन की कामना पांच अप्रैल को नवरात्र के चौथे दिन होगा। मान्यताओं के क्रम में आस्थावान बाबा दरबार से ही मां श्रृंगार गौरी की ओर मुख करके उनको नमन करते रहे हैं।
वहीं पूर्व में भी मंदिर में जलाभिषेक और पूजन की मान्यता की वजह से राजनीतिक और सामाजिक संगठन की ओर से प्रयास किया जा चुका है। बाबा दरबार परिक्षेत्र से सटा होने की वजह से भी आस्था का क्रम श्रृंगार गौरी के प्रति कभी कम नहीं हुआ है। वहीं मस्जिद के पास होने की वजह से धर्मावलंबियों के मन में श्रृंगार गौरी के पूजन को लेकर भी आस्था का क्रम कभी कम नहीं हुआ है।