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Chaitra Navratri 2022: : अश्व पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए कलश स्थापना का मुहूर्त, स्तुति व आरती संग्रह

Chaitra Navratri 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ इस वर्ष मां दुर्गा अश्व पर सवार होकर आ रही हैं। चैत्र नवरात्रि 9 दिन होने के कारण पूरा संयोग शुभ रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी नौ दिन नवरात्रि मनाई जाती है। तब ये दिन माता की उपासना के लिए बहुत शुभ होते हैं। इस बार 2 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए वर्जित चित्रा व वैधृति दोष नहीं है। ऐसे में सूर्योदय के बाद शक्ति की उपासना और पूजा-पाठ के लिए कलश स्थापना की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करने के लिए समय दोपहर 11.36 मिनट से दोपहर 12.24 तक रहेगा। ध्यान रखें कि सूर्योदय के बाद व अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहिए।

महा अष्टमी का व्रत

9 अप्रैल को अष्टमी मनाई जाएगी। मां दुर्गा का प्रस्तान सोमवार 11 अप्रैल दशमी तिथि को महिष वाहन से होगा। देवी आराधना से शांति और समस्त रोगों से मुक्ति मिलेगी।

श्री दुर्गा स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरुपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

आरती देवी शैलपुत्री

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

आरती देवी ब्रह्मचारिणी

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा।।

जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता।।

कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने।।

जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्ष की माला ले कर।।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना।।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।।

पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी

रखना लाज मेरी महतारी।

आरती देवी चंद्रघण्टा

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।

चंद्र समाज तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।

क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो। चंद्रघंटा तुम वर दाती हो।।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली।।

हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए।।

मूर्ति चंद्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता।।

पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।

आरती देवी कूष्मांडा

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी।

पिंगला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली।।

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे।।

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।।

सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे।।

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा।।

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा।।

मेरे कागज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो।।

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीशा झुकाए।।

 

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