Pakistan political crisis prime minister imran khan address to the nation: digi desk/BHN/ इस्लामाबाद/ इमरान खान ने गुरुवार को संकेत दिया कि नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे रविवार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को तैयार हैं। राष्ट्र के नाम एक संबोधन में, 69 वर्षीय खान ने ‘धमकी भरे पत्र’ पर भी चर्चा की, जिसमें कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए एक विदेशी साजिश का जिक्र करते हुए सुबूत दिए गए हैं। टीवी पर लाइव प्रसारण में उन्होंने इस खतरे के पीछे अमेरिका का नाम लिया।
इमरान खान ने कहा कि आपको बताना चाहता हूं कि आठ या इससे पहले सात मार्च को अमेरिका… नहीं एक विदेशी देश से हमें संदेश आता है जिसमें बताया जाता है कि वे पाकिस्तान पर क्यों गुस्सा हैं। उनका कहना था कि यदि इमरान खान को हटा दिया जाता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किए जाने पर पाकिस्तान को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। यह किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं पूरी आवाम के खिलाफ दखलंदाजी है।
इमरान खान ने कहा कि रविवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में वोटिंग होगी। इस रविवार को इसका फैसला हो जाएगा कि यह मुल्क अब किस तरफ जाएगा। क्या पाकिस्तान उसी गुलाम नीति पर चलेगा, क्या उन्हीं भ्रष्ट लोगों के हाथ में पाकिस्तान जाएगा जिन पर 30 साल से भ्रष्टाचार के आरोप हैं। मैंने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी। नतीजा जो भी होगा उससे बाद मैं और ज्यादा ताकतवर होकर सामने आऊंगा।
इमरान खान ने कहा कि मैंने फैसला किया था कि हम ऐसी विदेश नीति बनाएंगे जिससे पाकिस्तान की आवाम का भला हो। मैंने आजाद विदेश नीति की बात कही थी। इमरान ने कहा कि पिछली सरकारों की सबसे बड़ी गलती थी कि 80 के दशक में पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का सहयोगी बन गया। याद रखें उसी अमेरिका ने हमारे ऊपर प्रतिबंध लगाए थे। पिछली सरकारों की गलतियों के कारण मैंने पाकिस्तान को जलील होते और नीचे आते देखा है।
इमरान खान ने कहा कि अमेरिका का हिमायती बनना परवेज मुशर्रफ की सबसे बड़ी गलती थी। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने कई कुर्बानियां दी जिसका श्रेय हमारे मुल्क को नहीं मिला। पिछली सरकारों के कार्यकाल में हमारे मुल्क में चार सौ ड्रोन अटैक हुए जिसकी निंदा तक नहीं की गई। जब मैंने इन हमलों के विरोध में धरना दिया तो मुझे तालिबान खान कहा गया। मैं आज ये बातें इसलिए बता रहा हूं ताकि आपको पता चले कि इन लोगों की विदेश नीतियां कैसी रही हैं।
पाकिस्तानी अखबार डान की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान ने उक्त पत्र को पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश के साथ साझा करने की पेशकश की थी लेकिन बाद में मन बदल दिया। उन्होंने इस पत्र के बारे में अपने मंत्रियों को बताया है।
मालूम हो कि एक दिन पहले ही इमरान कथित तौर पर बहुमत खो चुके हैं। सत्ताधारी पीटीआइ के एक अहम सहयोगी दल अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में जाने की बात कही है। यही कारण है कि इमरान अपनी सरकार बचाने के लिए हर संभव कोशिशें कर रहे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। वहीं विपक्ष का कहना है कि इमरान की सारी कोशिशें बेकार जाएंगी और वह अपनी सरकार नहीं बचा पाएंगे।
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक दो प्रमुख सहयोगी दलों के पाला बदलने के बाद इमरान खान और विपक्ष के बीच निचले सदन को भंग करने के लिए अंदरखाने बातचीत चल रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इमरान की ओर से विपक्ष को आफर दिया गया है कि यदि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव वापस लेता है तो वह नेशनल असेंबली को भंग कर देंगे। यानी अब गेंद विपक्ष के पाले में है। यदि विपक्ष से इस फार्मूले पर समझौता हो जाता है तो अगस्त में नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।