Holi 2022: digi desk/BHN/भोपाल/ भारत जैसे विशाल देश में होली का पर्व भी अलग-अलग स्थान पर अलग अलग अंदाज में मनाया जाता है। मध्यप्रदेश में आदिवासी बहुल इलाकों में होली त्योहार भगोरिया पर्व के रूप में मनाया जाता है और इस अवसर पर आदिवासी अंचलों में विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसे भगोरिया मेला कहा जाता है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च को होगा और धुलेंडी 18 मार्च को खेली जाएगी।
विश्व प्रसिद्ध है भगोरिया मेला
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में भगोरिया मेला हर साल उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस मेले को देखने को लिए कई विदेशी पर्यटक भी आते हैं। भगोरिया मेले की खास बात ये है कि आदिवासी समुदाय के युवा लड़कियों से अपने प्यार का इजहार खास अंदाज में करते हैं। इस भगोरिया पर्व से जुड़ी खास रस्मों को निभाते हैं।
लड़की की पान खा लिया मतलब शादी को तैयार
भगोरिया मेले में आदिवासी समुदाय के हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। अगर कोई युवक किसी लड़की को पान देता है और लड़की उस पान को खा लेती है तो इसका मतलब है कि लड़की भी लड़के को पसंद करती है। इसके बाद दोनों मेले से भागने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद वे तब तक घर वापस नहीं आते हैं, जब तक वे उनके माता-पिता उनकी शादी के लिए तैयार नहीं हो जाते हैं। आदिवासी अंचलों में यह मेला प्राचीन काल के स्वयंवर का ही मिलता-जुलता रूप है।
ऐसे शुरू हुई भगोरिया मेले की परंपरा
ऐतिहासिक मान्यता है कि भगोरिया मेले की शुरुआत दो भील राजाओं कसुमार और बालुन के समय से मानी जाती है, जिसमें इन दोनों राजाओं ने मिलकर अपनी राजधानी भगोरा में एक मेले का आयोजन किया था। इसके बाद अन्य राजा लगातार इस मेले का आयोजन करने आए और आज यह एक रिवाज बन गया है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भील समाज में लड़के पक्ष को शादी के लिए लड़कियों को दहेज देना पड़ता था और इससे बचने के लिए भगोरिया मेले का आयोजन शुरू किया गया, जिसमें लड़के-लड़कियों की बिना पैसे के शादी कर दी जाती है।
4 से 5 दिन तक चलता है भगोरिया मेला
भगोरिया मेला आदिवासी अंचलों में करीब 4 से 5 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। इस मेले के आयोजन में सरकार और स्थानीय प्रशासन भी खूब मदद करता है। भगोरिया मेले को लेकर युवक-युवतियों में खासा उत्साह रहता है। इस दौरान युवाओं को अपना जीवन साथी चुनने की पूरी आजादी होती है।