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MP में 17 लाख किसानों की जेब पर गेहूं की ग्रेडिंग मशीन के नाम पर डाका डालने की तैयारी, कांग्रेस का विरोध

Congress protests preparing to rob the pockets of 17-lakh farmers in the name of wheat grading machine: digi desk/BHN/इंदौर/समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी में ग्रेडिंग की नई शर्त और जांच के आदेश का कांग्रेस ने विरोध किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नए आदेश से सीधे तौर पर सरकार न केवल प्रदेश के 17 लाख किसानों को परेशान कर रही है, बल्कि उनकी जेब पर अनावश्यक बोझ भी डाला जा रहा है।

सरकार ने आदेश जारी करके गेहूं खरीदी में अब किसानों को फसल बेचने के पूर्व ग्रेडिंग मशीन से गेहूं की क्वालिटी जांच कराने का नियम लागू कर दिया है। इसके लिए प्रति क्विंटल 20 रुपये शुल्क किसानों को चुकाना होगा। इसके पश्चात ही किसानों के गेहूं सरकार खरीदी करेगी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इसके लिए प्राइवेट फर्मों से टेंडर बुलाकर किसानों को लूटने की तैयारी कर रही हैं। इस तरह की कितनी ग्रेडिंग मशीनें लगाई जाएगी यह भी सरकार ने अब तक स्पष्ट नहीं किया हैं।

मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बताया की किसानों को अपनी फसल की ग्रेडिंग कराने के लिए अनेक दिनों तक ग्रेडिंग मशीन के लिए इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि एक ग्रेडिंग मशीन की क्षमता प्रति घंटा 20 क्विंटल ग्रेडिंग करने की क्षमता होती हैं। ऐसे में लाखों मैट्रिक टन गेहूं की ग्रेडिंग में कितने दिन लगेंगे यह अभी सरकार भी नहीं जानती हैं। किसानों की फसल पर्ची बनाकर दी जाएगी एवं बाद में ग्रेडिंग पहले आए पहले पाए की तर्ज पर होती रहेगी, लेकिन इसमें बढ़े पैमाने पर भ्रष्टाचार बढ़ेगा। गरीब एंव छोटे किसानों को ठगा जाएगा। ग्रेडिंग अनुसार फसल की लागत एंव तौल में भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो जाएगा। मुनाफा कमाने वाले व्यापारी भी गरीब किसानों को ग्रेडिंग सिस्टम की कमियों को बताकर किसानों से फसल कम दामों में हड़पने में सफल हो जाएंगे।
एमएसपी मूल्य पर किसानों की फसल खरीदने का दावा करने वाली सरकार ने अब ऐसा दाव चला हैं की किसानों को ग्रेडिंग के नाम पर फसल के तौल का लगभग 80 प्रतिशत ही भुगतान प्राप्त होना तय हैं। किसानों का गला दबाने के लिए 20 रुपये प्रति क्विंटल का पैसा ग्रेडिंग मशीनों के नाम पर वसूला जाएगा जबकि यह 20 रुपये प्रति क्विंटल का पैसा सरकार व्यापारियों से वसूले या इसका भुगतान सरकार को करना चाहिए। किसानों से वसूली करना गलत हैं। यदि एक किसान 300 क्विंटल गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचने जाता हैं तो किसान को 6000 रुपये अलग से देना पड़ेंगे। शिवराज सरकार यह व्यवस्था अनिवार्य कर रही हैं।
शिवराज सरकार किसानों को शक की नजर से देखती हैं। सरकार को लगता हैं की किसान गेहूं में कचरा मिट्टी भरकर बेचने आते हैं। ऐसी सोच और नीति किसानों की मेहनत का अपमान हैं। इसके पूर्व भी यह व्यवस्था थी की अगर मंडी निरीक्षक को लगता था की गेहूं में कचरा मिट्टी हो सकता हैं तो छन्ना लगाया जाता था, लेकिन यह अनिवार्य व्यवस्था नहीं थी। इस व्यवस्था में भी भ्रष्टाचार होता था, लेकिन अब अनिवार्य व्यवस्था से भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच जाएगा। किसानों को लूटा जाएगा और व्यापारियों का फायदा सरकार कराएंगी। मंडी निरीक्षक स्तर पर रिकॉर्ड तोड़ भ्रष्टाचार हो जाएगा। सरकार नोडल ऑफिसर तैनात करेगी लेकिन किसानों की मुसीबत बढ़ाने की व्यवस्था सरकार ने की हैं।
प्रदेश सचिव यादव के अनुसार शिवराज सरकार को ग्रेडिंग के 20 रुपये प्रति क्विंटल का पैसा किसानों से वसूलने का आदेश तत्काल निरस्त करना चाहिए। किसानों के अनाज की नियमानुसार कृषि निरीक्षक से ग्रेडिंग कराना चाहिए। इस ग्रेडिंग के माध्यम से कृषि निरीक्षक द्वारा किसान के अनाज का प्री सैंपल लिया जाता हैं। वजन तौलने की मशीन से अनाज का वजन तौला जाता हैं। आर्द्रता मीटर से आर्द्रता चेक की जाती हैं। इसके पश्चात स्टेब्लाइजर से नमी खत्म करने के बाद फिर से अनाज का वजन तौला जाता हैं। फोटिल मेट से अनाज के साथ मिट्टी, कचरे आदि का प्रतिशत निकाला जाता हैं। इसके आधार पर अनाज की ए, बी, सी ग्रेड तय की जाती हैं।
इस सत्यापित ग्रेड के अनुसार किसान को अनाज की कीमत मार्केट से मिलना चाहिए। यह व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी होती हैं, लेकिन शिवराज सरकार किसानों की मेहनत का उचित मूल्य नहीं देकर ग्रेडिंग मशीन के सहारे लूटने का आदेश अनिवार्य करके किसानों की कमर तोड़ने का कार्य किया हैं।

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