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Love Jihad: उलेमा बोर्ड का फैसला, लव जिहाद के साक्षी न बनें काजी

Ulema boards decision qazi should not become a witness to love jihad meeting was held in bhopal: digi desk/BHN/भाेपाल/ मध्य प्रदेश में गंगा-जमुनी तहजीब कायम है। इसे हर हालत में बरकरार रखना है। सभी मजहबाें का पूरा सम्मान रखा जाए। लव जिहाद काे लेकर कानून लागू हाे चुका है। काजी दाेनाें पक्षाें के अभिभावकाें की मौजूदगी में ही निकाह की रस्म पूरी कराएं। किसी भी कीमत में लव जिहाद जैसे मामले का साक्षी न बने। यदि इस तरह की शिकायत सामने आती है ताे संबंधित निकाहख्वां (काजी) के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता कि सिर्फ शादी के लिए मजहब बदल लें। यह फैसला ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की बैठक में लिया गया है। बैठक के बाद बाेर्ड के प्रदेश अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा कि इस संबंध में प्रदेश भर के काजी और निकाहख्वां काे चिट्ठी भी भेजी गई हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश भर से लगातार इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं कि दो अलग मजहब के लोगों का चोरी छिपे निकाह करवा दिया गया। इससे अनावश्यक बवाल के हालात बनते हैं। सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ता है। उन्हाेंने कहा कि निकाह के समय यह निश्चित कर लिया जाए कि दाेनाें पक्षाें की तरफ से युवक-युवती के माता-पिता मौजूद रहें। निकाह का पंजीयन करने समय सभी जरूरी दस्तावेजाें की बारीकी से तस्दीक करें। पूरी तरह से संतुष्ट हाेने पर ही निकाह करवाया जाए।

निकाह के लिए धर्म परिवर्तन न्यायसंगत नहीं

काजी अनस ने कहा कि कई मामलों में देखने में आया है कि सिर्फ निकाह का पंजीयन कराने के उद्देश्य से लोगों ने अपना नाम इस्लामी तरीके का रख लिया। इसमें लड़का और लड़की दोनों ही शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि महज निकाह या इस्लामी पद्धति से विवाह करने के मकसद से किया जाने वाला धर्म परिवर्तन न तो मजहबी एतबार से दुरुस्त है और न ही ऐसे मामले को कानूनी मान्यता प्राप्त है। उलेमा बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे किसी मामले में शामिल होने के मायने कानून का उल्लंघन करना भी होगा और ऐसा व्यक्ति अपनी कोम का भी गुनाहगार कहलाएगा।

सभी मजहबाें का करें सम्मान

उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी अनस ने कहा कि हमारे देश की व्यवस्था सर्व धर्म समभाव पर आधारित है। इसलिए सभी धर्मों के लोगों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी धार्मिक आस्थाओं का पालन करते हुए दूसरे मजहब के रीति रिवाजों का भी सम्मान करें। ऐसी कोई स्थिति निर्मित न होने दें, जिससे दूसरे धर्म की आस्थाएं प्रभावित या आहत हों।

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